स्वर और व्यंजन के विषय में विस्तार से लिखिए।
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व्यंजन
जिन वर्णों के पूर्ण उच्चारण के लिए स्वरों की सहायता ली जाती है वे व्यंजन कहलाते हैं। अर्थात् व्यंजन बिना स्वरों की सहायता के बोले ही नहीं जा सकते। ये संख्या में 34 हैं। इसके निम्नलिखित तीन भेद हैं:
स्पर्श
अंतःस्थ
ऊष्म
स्पर्श संपादित करें
इन्हें पाँच वर्गों में रखा गया है और हर वर्ग में पाँच-पाँच व्यंजन हैं। हर वर्ग का नाम पहले वर्ग के अनुसार रखा गया है जैसे:
क वर्ग- क् ख् ग् घ् ङ्
च वर्ग- च् छ् ज् झ् ञ्
ट वर्ग- ट् ठ् ड् ढ् ण् (ड़् ढ़्)
त वर्ग- त् थ् द् ध् न्
प वर्ग- प् फ् ब् भ् म्
अंतःस्थ संपादित करें
ये निम्नलिखित चार हैं: य् र् ल् व्
ऊष्मपरिभाषा संपादित करें
ये निम्नलिखित चार हैं- श् ष् स् ह्
वर्णमाला स्वर- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ अनुस्वार- अं विसर्ग- अ: व्यंजन- क, ख, ग, घ, ङ च, छ, ज, झ, ञ ट, ठ, ड, ढ, ण, ड़, ढ़ त, थ, द, ध, न प, फ, ब, भ, म य, र, ल, व श, ष, स, ह गृहीत- ज़, फ़, ऑ संयुक्त व्यंजन- क्ष, त्र, ज्ञ, श्र स्वर जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस, कंठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है, उन्हें 'स्वर' कहा जाता है।