Hindi, asked by himanshi2256, 1 month ago

स्वरतंत्रिकाओं में कंपन के आधार पर बताइए कि क और ख कौन सी ध्वनियां हैं?​

Answers

Answered by BrainlSrijan1
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Answer:

इस दृष्टि से व्यंजनों को दो वर्गों में विभक्त किया जाता है - घोष और अघोष। जिन व्यंजनों के उच्चारण में स्वरतंत्रियों में कंपन होता है, उन्हें घोष या सघोष कहा जाता हैं। दूसरे प्रकार की ध्वनियां अघोष कहलाती हैं। ... हिन्दी के ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ, ड़, ढ़ - व्यंजन महाप्राण हैं।

Answered by lohitjinaga
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Answer:

स्वनविज्ञान के सन्दर्भ में, मुख गुहा के उन 'लगभग अचल' स्थानों को उच्चारण बिन्दु (articulation point या place of articulation) कहते हैं जिनको 'चल वस्तुएँ' छूकर जब ध्वनि मार्ग में बाधा डालती हैं तो उन व्यंजनों का उच्चारण होता है। उत्पन्न व्यंजन की विशिष्ट प्रकृति मुख्यतः तीन बातों पर निर्भर करती है- उच्चारण स्थान, उच्चारण विधि और स्वनन (फोनेशन)। मुख गुहा में 'अचल उच्चारक' मुख्यतः मुखगुहा की छत का कोई भाग होता है जबकि 'चल उच्चारक' मुख्यतः जिह्वा, नीचे वाला ओठ, तथा श्वासद्वार (ग्लोटिस) हैं।

मानव द्वारा ध्वनि उत्पन्न करने वाले प्रमुख अंगों का विवरण

1. बाह्योष्ठ्य (exo-labial)

2. अन्तःओष्ठ्य (endo-labial)

3. दन्त्य (dental)

4. वर्त्स्य (alveolar)

5. post-alveolar

6. prä-palatal

7. तालव्य (palatal)

8. मृदुतालव्य (velar)

9. अलिजिह्वीय (uvular)

10. ग्रसनी से (pharyngal)

11. श्वासद्वारीय (glottal)

12. उपजिह्वीय (epiglottal)

13. जिह्वामूलीय (Radical)

14. पश्चपृष्ठीय (postero-dorsal)

15. अग्रपृष्ठीय (antero-dorsal)

16. जिह्वापाग्रीय (laminal)

17. जिह्वाग्रीय (apical)

18. sub-laminal

व्यंजन वह ध्वनि है जिसके उच्चारण में हवा अबाध गति से न निकलकर मुख के किसी भाग (तालु, मूर्धा, दांत, ओष्ठ आदि) से या तो पूर्ण अवरुद्ध होकर आगे बढ़ती है या संकीर्ण मार्ग से घर्षण करते हुए या पार्श्व से निकले। इस प्रकार वायु मार्ग में पूर्ण या अपूर्ण अवरोध उपस्थित होता है।

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