स्वस्ति श्रीभोजराज ! त्रिभुवनविजयी धार्मिक: सत्यवादी।
पित्रा ते मे गृहीता नवनवतियुता स्वर्णकोटिर्मदीया।।
तां त्वं मे देहित तूर्णं सकलबुधजनैयिते सत्यमेतद्।
नो चेद् जानन्ति केचिद् नवकृतमिति वा देहि लक्षं ततो मे।।
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kuch nahi at ha ya question ka answer
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उपरोक्त श्लोक का अर्थ क्या है
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