Social Sciences, asked by madhukumar151611, 6 months ago

स्वस्थ जनसंख्या देश के आर्थिक विकास में कैसे योगदान देती हैं विद्यार्थी इस विषय से संबंधित एक ई पोस्टर बनाएं​

Answers

Answered by Anonymous
3

\huge{\red{\bf{AnSwEr}}}

•किसी भी देश की वर्तमान स्थिति का आकलन वहां की आर्थिक विकास और जनसंख्या के ही हिसाब से तय किया जाता है। यह दोनों एक राष्ट्र के विकास के सबसे बड़े कारक होते हैं। भारत जैसे देश में जनसंख्या वृद्धि एक खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। भले ही हम विश्व के सबसे ज्यादा युवा वाला देश होने का दावा करते हैं पर सच यही है कि अब हमारे देश की जनसंख्या यहां की आर्थिक स्थिति को काफी नुकसान पहुंचा रही हैं। जनसंख्या किसी भी देश के विकास के लिए सबसे बड़ा अवरोध पैदा कर सकती है। 2011 के के जनगणना के आंकड़ों के लिहाज से देखें तो हमारे देश की जनसंख्या 121.27 करोड़ हो गई है यानी कि 2001 की जनसंख्या में लगभग 17.7 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है। यह इजाफा भारत जैसे विकासशील देश के समक्ष कई समस्याओं और चुनौतियों को भी जन्म देता है। जनसंख्या वृद्धि ने हमारे देश के समक्ष बेरोजगारी, खाद्य समस्या, कुपोषण, प्रति व्यक्ति आय, गरीबी, मकानों की कमी, महंगाई, कृषि विकास में बाधा, बचत एवं पूंजी में कमी, शहरी क्षेत्रों में घनत्व जैसी ढेर सारी समस्याओं को उत्पन्न कर चुका है। हम इन समस्याओं से निपटने की लगातार कोशिश तो कर रहे हैं पर समाधान बहुत कम निकल कर सामने आ रहे हैं।

Answered by Anonymous
1

 \huge{ \underline{ \bold{ᴀɴsᴡᴇʀ....{ \heartsuit}}}}

किसी भी देश की वर्तमान स्थिति का आकलन वहां की आर्थिक विकास और जनसंख्या के ही हिसाब से तय किया जाता है। यह दोनों एक राष्ट्र के विकास के सबसे बड़े कारक होते हैं। भारत जैसे देश में जनसंख्या वृद्धि एक खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। भले ही हम विश्व के सबसे ज्यादा युवा वाला देश होने का दावा करते हैं पर सच यही है कि अब हमारे देश की जनसंख्या यहां की आर्थिक स्थिति को काफी नुकसान पहुंचा रही हैं। जनसंख्या किसी भी देश के विकास के लिए सबसे बड़ा अवरोध पैदा कर सकती है। 2011 के के जनगणना के आंकड़ों के लिहाज से देखें तो हमारे देश की जनसंख्या 121.27 करोड़ हो गई है यानी कि 2001 की जनसंख्या में लगभग 17.7 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है। यह इजाफा भारत जैसे विकासशील देश के समक्ष कई समस्याओं और चुनौतियों को भी जन्म देता है। जनसंख्या वृद्धि ने हमारे देश के समक्ष बेरोजगारी, खाद्य समस्या, कुपोषण, प्रति व्यक्ति आय, गरीबी, मकानों की कमी, महंगाई, कृषि विकास में बाधा, बचत एवं पूंजी में कमी, शहरी क्षेत्रों में घनत्व जैसी ढेर सारी समस्याओं को उत्पन्न कर चुका है। हम इन समस्याओं से निपटने की लगातार कोशिश तो कर रहे हैं पर समाधान बहुत कम निकल कर सामने आ रहे हैं।

Similar questions