स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है - इस पर स्वमत लिखिए
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- कहा जाता है, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन निवास करता है। मनुष्य के पास जो मूल संपत्ति है, वह मन है। इसीलिए कहते हैं, मन के जीते जीत, मन के हारे हार। तो मन को स्वस्थ रखना है, तो तन को भी स्वस्थ रखना ही होगा।
- जैसे मनुष्य की उम्र बढ़ती जाती है, उसके अंदरुनी और बाहरी शारीरिक अंगों की कार्य करने की क्षमता कम होने लगती है। नवजात शिशु कुछ नहीं जानता है, उसे कोई कुछ नहीं बताता है फिर भी वह अपने हिसाब से हाथ-पैर फेंकते रहता है। रोना-हंसना-किलकारी मारना सब उसके एक्सरसाइज हैं। परंतु हम जैसे-जैसे बड़े होने लगते हैं, दुनिया से शरमाने लगते हैं, हमारी शारीरिक गतिविधियां कम होने लगती है। हम शरीर से जरूरत भर ही काम लेते हैं। वहीं, खेतों में काम करने वाले किसान, उम्र के अंतिम पड़ाव पर आकर भी अपने काम कर लेते हैं। हमारे पूर्वज अक्सर कहा करते थे, अपना काम स्वयं करो। शायद इसीलिए घर की स्त्रियों के लिए गृहिणी शब्द बना। परंतु आज तो घर का सारा काम आयाएं करती हैं। गृहिणियां तो 40-45 की उम्र के बाद बीमार होने लगती हैं। मांस-पेशियां जकड़ने लगती हैं। बढ़ती उम्र में यह समस्या और भी तेजी से जोर पकड़ती है।
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पानीपत | आयुषविभाग, पतंजलि के पंच संगठनों और जिला प्रशासन की और योग शिविर लगाया जा रहा है। योग शिविर का आयोजन मिलेनियम स्कूल के सौजन्य से आयोजित किया जा रहा है। पतंजलि योग पीठ के हरियाणा प्रभारी संजीव धीमान ने कहा कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग व्यायाम बहुत जरूरी हैं। योग करने से एक और जहां मन को सुकून मिलता है दूसरी ओर एकाग्रता का विकास होता है। योग हमारे शरीर को स्वस्थ संतुलित रखने में मदद करता है। योग करने से हमारे शरीर में ताजगी एवं स्फूर्ति आती है। योग करने से हमारे मन को एकाग्रता मिलती है। विद्यार्थी जीवन में तो योग बड़ा महत्त्व है। विद्यार्थी जीवन में छात्रों को योग अपनाकर शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। योग हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। इस मौके पर डॉ अर्जुनदेव मुखीजा, अशोक अरोड़ा, विनोद बांगड़, रमेश मलिक, श्रीशिपाल तंवर, उमनपाल मौजूद रहे।
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