स्वतंत्र भारत का संपूर्ण दायित्व आज विद्यार्थी के ही ऊपर है- क्योंकि आज जो विद्यार्थी है. वे ही कल स्वतंत्र भारत
के नागरिक होंगे भारत की उन्नति और उसका उत्थान उन्हीं की उन्नति और उत्थान पर निर्भर करता है। अतः
विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अपने भावी जीवन का निर्माण बड़ी सतर्कता और सावधानी के साथ करें। उन्हें प्रत्येक
क्षण अपने राष्ट्र, अपने समाज, अपने धर्म, अपनी संस्कृति को अपनी आँखों के सामने रखना चाहिए कि उनके जीवन
से
राष्ट्र
को कुछ बल प्राप्त हो सके। जो विद्यार्थी राष्ट्रीय दृष्टिकोण से अपने जीवन का निर्माण नहीं करते ,दे राष्ट्र
और समाज के लिए भार स्वरूप होते हैं।
विद्यार्थी का लक्ष्य विघोपार्जन है। भली-भांति विघोपार्जन करके वह राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह सुचारू
रूप से कर सकता है। राजनीति इस लक्ष्य की पूर्ति नहीं कर सकती। राजनीति वास्तव में धूर्तो का खेल है जो अनेक
दांवपेच खेलघर जीवन में सफलता प्राप्त कर लेते हैं। यह सरल एवं शुद्ध- हृदय विद्यार्थी के वश का रोग नहीं है।
राजनीति छात्रों के अध्ययन में बाधा ही नहीं डालती वरन उन्हें गुमराह भी कर देती है। अतः छात्रों को चाहिए की
सर्वप्रथम अपने आप को योग्य बनाने के बाद ही वे राजनीतिक के क्षेत्र में कदम रखें।
क. भारत की उन्नति किस पर और क्यों निर्भर करती है?
ख .विद्यार्थी को अपने भावी जीवन का निर्माण किस प्रकार करना चाहिए?
ग. किस प्रकार के विद्यार्थी अपने राष्ट्र और समाज के लिए भार स्वरूप होते हैं?
घ. विद्यार्थी राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह किस प्रकार कर सकता है?
ड छात्रों को राजनीति में भाग क्यों नहीं लेना चाहिए?
च. उपरोक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
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Explanation:
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