Social Sciences, asked by prabhuking, 8 months ago

स्वतंत्र न्यायपालिका अपना काम कैसे करती है​

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Answered by pushpajaiswal1089
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आज भारत के अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, विदेशनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा, मानव पूंजी, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में जो बदलाव हो रहे हैं, उन सब का संक्षिप्त और विश्लेषणात्मक नज़रिया IiT (आय आय टी) के द्वारा आप के सामने पेश किया जाएगा. हर प्रकाशित लेख का हिंदी अनुवाद CASI (कासी) के वेबसाइट पर उपलब्ध होगा, और उसके साथ जुड़े ऑनलइन संसाधन भी उपस्तित होंगे.

आज भारत में सार्वजनिक हित के मामलों को तभी महत्व मिलता है जब उच्चतम न्यायालय इस पर ज़ोर डालता है. सामान्य और विशेष दोनों ही प्रकार के हितधारकों के प्रतिनिधि न्यायपालिका में सक्रिय होकर याचिका दाखिल करते हैं. किसी भी विषय पर होने वाले वाद-विवाद से भारतीय न्यायपालिका को महत्व मिलता है और वह सक्रिय भी बनी रहती है. एक ऐसे युग में जहाँ अधिकांश संस्थाओं पर राजनीति हावी होने लगी है, न्यायपालिका ही एकमात्र संस्था बची है जिस पर नागरिकों का विश्वास अभी भी कायम है और उन्हें लगता है कि वहाँ उनकी सुनवाई ठीक तरह से हो सकती है.

आज भारत में सार्वजनिक हित के मामलों को तभी महत्व मिलता है जब उच्चतम न्यायालय इस पर ज़ोर डालता है. सामान्य और विशेष दोनों ही प्रकार के हितधारकों के प्रतिनिधि न्यायपालिका में सक्रिय होकर याचिका दाखिल करते हैं. किसी भी विषय पर होने वाले वाद-विवाद से भारतीय न्यायपालिका को महत्व मिलता है और वह सक्रिय भी बनी रहती है. एक ऐसे युग में जहाँ अधिकांश संस्थाओं पर राजनीति हावी होने लगी है, न्यायपालिका ही एकमात्र संस्था बची है जिस पर नागरिकों का विश्वास अभी भी कायम है और उन्हें लगता है कि वहाँ उनकी सुनवाई ठीक तरह से हो सकती है.लेकिन हमेशा ऐसा नहीं रहा है. भारतीय संविधान का इतिहास बिल्कुल अलग किस्म के दो तथ्य हमारे सामने रखता है, एक तथ्य है 1950-80 का, जब संसद अलग-अलग हितधारकों की युद्धभूमि बनी हुई थी और दूसरा तथ्य है 1980 के बाद का, जब उच्चतम न्यायालय सभी हितधारक समूहों के लिए आशा की अंतिम किरण बन गया था. हितधारक समूहों के कार्यकलाप संसद से हटकर न्यायपालिका में कैसे स्थानांतरित हो गए? इस विषय में जो भी कानूनी विश्लेषण हुआ है, वह केवल उन विशेष मामलों, ऐतिहासिक घटनाओं और कुछ व्यक्ति विशेषों तक ही सीमित रहा है, जिनके कारण सार्वजनिक हित की याचिकाओं के माध्यम से न्यायपालिका सक्रिय हुई है. आज़ादी के बाद के पहले के कुछ दशकों में अर्थशास्त्रियों ने कार्यपालिका की आपेक्षिक शक्ति और न्यायपालिका की कमज़ोरी की चर्चा की है

Answered by lakshaysoni01279473
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इस प्रकार न्यायपालिका विवादों को सुलझाने एवं अपराध कम करने का काम करती है जो अप्रत्यक्ष रूप से समाज के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त के अनुरूप न्यायपालिका स्वयं कोई नियम नहीं बनाती और न ही यह कानून का क्रियान्यवन कराती है। सबको समान न्याय सुनिश्चित करना न्यायपालिका का असली काम है।

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