Hindi, asked by akshrachhillar07, 26 days ago

स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, पर अनुच्छेद
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Answered by princess0828
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Here is your answer Mate :

Explanation:

स्वतंत्रता हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है।स्वाधीनता हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है। इसको पाने के लिए यदि मनुष्य को लड़ना भी पड़े तो सदैव तत्पर रहना चाहिए। तुलसीदास जी ने कहा है;

'पराधीन सपनेहुं सुखनाहीं'

अर्थात्‌ पराधीनता में तो स्वप्न में भी सुख नहीं है। पराधीनता तो किसी के लिए भी अभिशाप है। भारत ने बहुत लंबे समय से गुलामी के शाप को सहा है। पहले वो मुगलों के अधीन रहा। उनके द्वारा उसने अनेकों अत्याचार सहे परन्तु उसकी नींव नहीं हिली। इसका मुख्य कारण था मुगल पहले आए तो लूटमार के मकसद से थे परन्तु धीरे-धीरे उन्होंने यहाँ रहना स्वीकार कर इस पर राज किया। यदि शुरु के मुगलकाल को अनदेखा कर दिया जाए तो बाकि मुस्लिम शासकों ने यहाँ की धन-संपदा का शोषण नहीं किया वो यहाँ अपना शासन चाहते थे पर लूटकर बाहर नहीं ले जाना चाहते थे। मुगलकाल के खत्म होते-होते अंग्रेज़ों ने यहाँ अपने पैर पसारने शुरु किए। पहले-पहल उन्होंने इसे व्यापार के लिए चुना परन्तु उनका उद्देश्य बहुत बाद में समझ में आया। व्यापार करते हुए उन्होंने पूरे भारत को अपने हाथों में समेटना शुरु कर दिया। उनका उद्देश्य यहाँ की अतुल धन-संपदा का शोषण कर उसे अपने देश पहुँचाने का था। उन्होंने ऐसा किया भी। भारत का विकास व उन्नति उनका उद्देश्य कभी था ही नहीं।

भारत के लोगों को जब स्थिति समझ में आई तब तक बात हाथ से निकल चुकी थी। पूरा भारत गुलामी की बेड़ियों में बंध चुका था। यहाँ के लोग उनके शोषण से पीड़ित होने लगे थे। उन्होंने यहाँ कि धन-संपदा, संस्कृति, धरोहर पर अतुल्य वार किए जिसकी छाप आज भी देखी जा सकती है। हम भारतीयों को पराधीनता की बेड़ियाँ तोड़ते आधा दशक लग गया। लोगों ने स्वतंत्रता का मूल्य पहचानना शुरु किया और अंग्रेज़ों द्वारा भयंकर यातनाएँ सही। अनेक देशभक्तों ने काल कोठरियों में अपना जीवन व्यतीत किया। कई वीरों ने हँसते.हँसते अपने प्राणों का बलिदान दिया। अतः हमें किसी भी कीमत पर अपनी आजादी को नहीं खोने देना चाहिए|

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