Political Science, asked by vk9156456, 1 month ago

स्वतंत्रता के आयामों को स्पष्ट करें​

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Answered by Anonymous
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स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त, भारत के नागरिकों के लिए एक विशेष महत्व रखता है। यह वह दिन है जो हमे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों की याद दिलाता है। यह हमारे अंदर देशभक्ति की भावना के साथ देश के लिए कुछ कर दिखाने की भावना को भी उत्तेजित करता है। भारत दशकों से ब्रिटिश शासन के अधीन था

Answered by kiranmoryak
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स्वतंत्रता केवल राजकीय नहीं होती, वरन कई तलों की होती है। राजकीय स्वतंत्रता का दिवस तो मनाया जाता है, लेकिन जब तक मानसिक स्वतंत्रता नहीं मिलती, तब तक राजकीय स्वतंत्रता अराजक बनी रहती है। इसलिए ओशो ने स्वतंत्रता को तीन वर्गों में बांटा है: नकारात्मक स्वतंत्रता, सकारात्मक स्वतंत्रता और विशुद्ध स्वतंत्रता। नकारात्मक स्वतंत्रता है किसी चीज से मुक्ति पाना। कोई अप्रिय घटना, वस्तु या व्यक्ति से मुक्ति पाने को स्वतंत्र होना कहा जाता है। अधिकतर स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले इसी प्रकार की स्वतंत्रता चाहते हैं। राजनीतिक स्वतंत्रता इसी श्रेणी की है। बंधन से मुक्ति, दासता से मुक्ति। इसीलिए जो भी क्रांतियां की जाती हैं, वे विजय पाकर भी असफल होती हैं, क्योंकि दासता से मुक्ति हो गई, सत्ता आ गई, अब सत्ता पाने के बाद आगे क्या? स्वतंत्रता को संभालना तलवार की धार पर चलने जैसा है।

दूसरी स्वतंत्रता है सकारात्मक। जैसे कोई इंसान चित्रकार बनना चाहता हो या कवि बनना चाहता हो और उसे अपने परिवार से संघर्ष करना पड़ता है, ताकि उसे अपना शौक पूरा करने का अवसर मिले। यह सकारात्मक स्वतंत्रता है। इस व्यक्ति में बहुत-सी सृजनात्मक ऊर्जा है। उसे लड़ने में इतना रस नहीं है, जितना कुछ निर्माण करने में है। वह लड़ता भी है, तो इसलिए कि उसे सृजन का रास्ता मिल जाए। तीसरी स्वतंत्रता है विशुद्ध स्वतंत्रता या आध्यात्मिक स्वतंत्रता। भारत की समूची प्रतिभा सदियों-सदियों से इसमें संलग्न थी। व्यक्तिगत मुक्ति ही ऋषियों का लक्ष्य था। यह किसी अप्रिय परिस्थिति से छुटकारा नहीं है, बल्कि अपनी जन्मजात स्थिति को पाना है। सभी ध्यान योग इसीलिए किए जाते हैं। स्व-तंत्र बड़ा ही खूबसूरत शब्द है। जिसने स्व का तंत्र पाया, वह है स्वतंत्र। क्या है स्व का तंत्र? तंत्र है तकनीक या ऐसी कुंजी, जो आंतरिक संपदा का द्वार खोले। यह कुंजी कहीं बनी-बनाई नहीं मिलती, यह हर एक को अपनी-अपनी गढ़नी पड़ती है।

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