स्वतंत्रता का अधिकार केवल अधिकार नहीं अपितु अनेक अधिकारों का समूह है। व्याख्या करें।
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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम लड़ने का एक मूल लक्ष्य यह भी था कि भारत के नागरिकों को स्वतंत्रता के अधिकार मिले जो अधिकार उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के होते हुए नहीं मिल पा रहे थे। स्वतंत्रता व्यक्ति का नैसर्गिक अधिकार है और इस प्रकार के नैसर्गिक अधिकार को किसी भी शासन द्वारा छीना नहीं जा सकता है।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को मूल अधिकारों में सर्वोच्च अधिकार माना जाता है क्योंकि स्वतंत्रता ही जीवन है और बगैर स्वतंत्रता के जीवन की कल्पना करना कठिन है। बगैर स्वतंत्रता का जीवन पशु के समान जीवन है। भारत के संविधान का अनुच्छेद 19 स्वतंत्रता के संदर्भ में खुलकर उद्घोषणा कर रहा है।
भारत के सभी नागरिकों को अनुच्छेद 19 के अंतर्गत स्वतंत्रता के वे सभी अधिकार दे दिए गए हैं जिन अधिकारों के लिए भारत की जनता द्वारा एक लंबे समय तक संघर्ष किया गया है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 तक में भारत के नागरिकों को स्वतंत्रता संबंधी विभिन्न अधिकार प्रदान किए गए हैं। यह चारों अनुच्छेद दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार पत्र स्वरूप हैं। यह स्वतंत्रता मूल अधिकारों का आधार स्तंभ भी है।
इनमें 6 मूलभूत स्वतंत्रताओं का प्रमुख स्थान है, वह मूलभूत स्वतंत्रता निम्न है-
1)- वाक्य और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
2)- शांतिपूर्वक सम्मेलन करने की स्वतंत्रता।
3)- संगम या संघ बनाने की स्वतंत्रता।