स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने विदेशी उत्पादकों को विदेशी पतिस्पर्धा से बचाने के लिए विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश में अवरोधक लगाए । 1991 के जासपास इन अवरोधको को हटाने का फैसला क्यों किया गया ? भारतीय ग्राहकों को इस नीति परिवर्तन से होने वाले किन्ही दो लाभी के बारे में लिखी ।
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Explanation:
अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न’ नामक यह शृंखला इस विषय पर उपयोगकर्ताओं द्वारा समान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में देने का प्रयास है। तथापि कोई लेनदेन करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों/ नियमों अथवा निदेशों का संदर्भ लें। इससे संबंधित मूल विनियमावली 07 नवंबर 2017 को अधिसूचित एवं समय समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2017 [जिसे समान्यतः फेमा 20(आर) नाम से जाना जाता है] के मार्फत जारी की गई है। प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उसके ग्राहकों और घटकों के साथ विदेशी मुद्रा संबंधी कारोबार को कैसे संचालित किया जाएगा, ताकि संबन्धित विनियमों का अनुपालन हो सके, इसके संबंध में दिशानिर्देश भारत में विदेशी निवेश पर जारी मास्टर निदेश में दिये गए हैं।