स्वतंत्रता की तड़प एवं परतंत्रता से मुक्ति भाव को समाहित करते हुए कठपुतली से साक्षात्कार को संवाद के रूप में लिखिए
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कठपुतली दूसरों के हाथों में बंधकर नाचने से परेशान हो गयी है और अब वो सारे धागे तोड़कर स्वतंत्र होना चाहती है। वो गुस्से में कह उठती है कि मेरे आगे-पीछे बंधे ये सभी धागे तोड़ दो और अब मुझे मेरे पैरों पर छोड़ दो। मुझे अब बंधकर नहीं रहना, मुझे स्वतंत्र होना है। हमें अपने मन के छंद छुए।
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