Hindi, asked by sanapvinayak74, 4 months ago

।। स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है ।।​

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Answered by 10ayushranjan
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स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा:

ये उध्घोष करने वाले बाल गंगाधर तिलक का भारतीय स्वाधीनता संग्राम में शीर्ष स्थान रहा है | वे एक महान देशभक्त और प्रखर राजनेतिक विचारक थे | भारत की पुण्य भूमि में जन्मे ऐसे महापुरुष लोकमान्य गंगाधर तिलक का जन्म महारास्ट्र के रत्नागिरी जिलान्तर्गत चिरवल नामक गाँव में 23जुलाई 1956 ई. को हुआ था | इनके पिताजी गंगाधर राव अध्यापक के साथ- साथ समाजसेवी भी थे | जब ये मात्र 10 वर्ष के थे तो उनकी माता पार्वती बाई का स्वर्गवास हो गया | माता की मृत्यु के सात वर्ष बाद पिता के सन्यासी होने के कारण तिलक अनाथ और असहाय हो गए, आपने अपनी प्रखर बुद्धी से आगे अध्ययन जरी रखा | कुशाग्र बुद्धी, कठोर परिश्रम एवं कर्तव्य परायणता आदि गुणों के कारण उनके जीवन में परिस्तिथि वश उत्पन्न अभाव व कष्ट उनकी देश सेवा में कभी अवरोध नहीं बन सके|

हम तो हमेशा आजाद रहते‌ हें हम भी तो आजाद हैं:

चन्द्रशेखर आज़ाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को हुआ था. आज़ाद हमेशा सत्य बोलते थे। एक बार की घटना है आजाद पुलिस से छिपकर जंगल में साधु के भेष में रह रहे थे तभी वहाँ एक दिन पुलिस आ गयी। दैवयोग से पुलिस उन्हीं के पास पहुँच भी गयी। पुलिस ने साधु वेश धारी आजाद से पूछा-"बाबा!आपने आजाद को देखा है क्या?" साधु भेषधारी आजाद तपाक से बोले- "बच्चा आजाद को क्या देखना, हम तो हमेशा आजाद रहते‌ हें हम भी तो आजाद हैं।" पुलिस समझी बाबा सच बोल रहा है, वह शायद गलत जगह आ गयी है अत: हाथ जोडकर माफी माँगी और उलटे पैरों वापस लौट गयी ||  

आपके कोटिशः उपकारों से कृतज्ञ मेरा मन दोनों महापुरुषों को शत शत नमन करता है।।

                                      ''वन्दे मातरम्''

लोकमान्य तिलक जी ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी थे। उनका मराठी भाषा में दिया गया नारा "स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच" (स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा) बहुत प्रसिद्ध हुआ।

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