स्वतंत्रता पुकारती कविता का भावार्थ एवं उद्देश्य लिखिए
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स्वतंत्रता पुकारती जयशंकर प्रसाद जी द्वारा लिखी गई है इस कविता में देश की स्वतंत्रता की रक्षा हेतु भारत माता पिता के वीर सपूतों का आह्वान किया है प्रसाद जी स्वतंत्रता संघर्ष के बीच सिपाही के रूप में देश प्रेम की उत्कट तीव्र भावना से ओतप्रोत होकर भारत मां के वीर सपूतों का आह्वान करते हुए लिखते हैं कि भारत माता के वीर सपूतो आज पराधीनता की बेड़ियां में जकड़ी हुई भारत मां की स्वतंत्रता हिमालय की ऊंची ऊंची चोटियों की दिव्य ज्ञान वाणी से तुम्हें अपनी रक्षा के लिए पुकार रही है तुम तो भारत मां के अमर वीर पुत्र हो और दृढ़ प्रतिज्ञा वाले साहसी वीर सपूत हो.
उद्देश्य- राष्ट्रप्रेम के लिए सर्वस्व त्याग बलिदान और समर्पण का भाव तथा मातृभूमि के प्रति सच्ची श्रद्धा व निष्ठा ही इस रचना का मूल प्रेरणा उद्देश है
स्वतंत्रता पुकारती कविता का भावार्थ व उद्देश्य निम्नलिखित है।
भावार्थ
- " स्वतंत्रता पुकारती " कविता के कवि है जयशंकर प्रसाद।
उन्होंने इस कविता में देश में व्याप्त जातिवाद, प्रांतीयता वाद, ऐसी अनेक समस्याओं की चर्चा की है।
- कवि ने नारी के पात्रों के माध्यम से राष्ट्रीय भावना को आर्य संस्कृति में दर्शाया है।
- कवि ने देश की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए भारत के वीर नवजवानों का आह्वान किया है।
- युवकों में एकता, त्याग व आत्मोत्सर्ग की भावना के लिए प्रेरित किया है।
- कवि ने अलका, मल्लिका जैसी नारियों का उदाहरण देकर समझाया है कि ये नारिया आज के पथभ्रष्ट युवकों को अपनी कोमल व मधुर वाणी से सत मार्ग पर ले जा सकती है।
- आज की नारी विभिन्न समस्याओं से झूज रही है , वह संघर्षरत है, अपनी अस्मिता के बचाव के लिए प्रयत्न कर रही है ।
- नारी को आज भी भोग की वस्तु समझा जा रहा है।
कविता का उद्देश्य
" स्वतंत्रता पुकारती " कविता के माध्यम से कवि ने देश के नवयुवकों को भारत मां की रक्षा के लिए आह्वान किया है व देश के लोगो को नारी की अस्मिता की रक्षा करने, उसकी इज्जत करने की प्रेरणा दी है।