स्वतंत्रता दिवस से संबंधित कविता ?
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हर कोई रण में लड़े, ये असंभव-सी बात है,
जो जहां है वहीं रहकर, देश की सेवा करें।
मां ने वीर बलवान सैनिक देश की खातिर दिया,
जान देकर बेटे ने मां का सर ऊंचा किया।
कवि की कविता में वो शक्ति, देशप्रेम की लगन जगे,
वीरों के पथ पर गिरने की अभिलाषा गर पुष्प करे,
मानव होकर क्यूं फिर न हम प्राण देश के नाम करें।
हो चिकित्सक या हो शिक्षक, किसान या मजदूर हो,
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"आजादी की कहानी"
दुनिया में कुछ भी मुश्किल नहीं होता, मन में विश्वास होना चाहिए,
बदलाव लाने के लिए, मन मिटने का भाव होना चाहिए।
बात उस दौर की है जब भारत एक गुलाम था,
हम पर हुकूमत था करता, वो ब्रितानी ताज था।
जुल्म का स्तर कुछ इस प्रकार था की भरी दोपहर में अंधकार था,
हर पल मन एक ही ख्याल सताता, कि अब अगला कौन शिकार था।
किन्तु फिर भी मन में विश्वास था, क्योंकि कलम का ताकत पास था,
जो मौखिक शब्द न कर पाते, ऐसे में ये एक शांत हथियार था।
आक्रोश की ज्वाला धधक रही थी, आंदोलन बन के वो दमक रही थी,
स्वतंत्रता की बात क्या उठी, चिंगारी शोले बन चमक रही थी।
लिख-लिख कर हमने भी गाथा, दिलो में शोलों को भड़काया था,
सत्य अहिंसा को हथियार बनाकर, अंग्रेजों को बाहर का मार्ग दिखाया था।
आसान नहीं था ये सब कर पाना, इतने बड़े स्वप्न को साकार कर पाना,
श्रेय तो जाता उन योद्धाओं को, जिन्होने रातों को भी दिन था माना।
बहुत मिन्नतों बाद दिखा हमें, आजादी का ये सवेरा था,
आओ मिलकर इसे मनाये, फहरा के आज तिरंगा अपना।