स्वतंत्रता दिवस विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए
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स्वतंत्रता दिवस –
"शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले; वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा"
स्वतंत्रता के बिना जीवन व्यर्थ है| पराधीन व्यक्ति ना तो सुखी रह पाता है और ना ही अपनी इच्छा के अनुकूल जीवन व्यतीत कर पाता है , इसलिए कहा गया है - पराधीन सपनेहुं सुख नाही| प्रत्येक व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता का विशेष महत्व होता है और यदि सदियों की परतंत्रता के बाद स्वतंत्रता हासिल हुई हो तो ऐसी स्वतंत्रता का महत्व और भी बढ़ जाता है| हमारा देश भारत सदियों की परतंत्रता के बाद 15 अगस्त ष1947 को स्वतंत्र हुआ था | इसी के उपलक्ष में इसी दिन को हम हर बार स्वतंत्र दिवस के रुप में मनाते हैं| यह हमारा राष्ट्रीय त्यौहार है|भारतभारत का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है इस लंबे इतिहास में ऐसे कई विदेशी आक्रमणों का सामना करना पड़ा अधिकतर विदेशी आक्रमणकारी यहां रहने के दौरान भारतीय सभ्यता संस्कृति में इस तरह घुल मिल गए मानो यहां के मूल निवासी हो| यह सिलसिला मुगलों के शासन तक चलता रहा| आठवीं सदी में जब अंग्रेजों ने भारत के कुछ हिस्सों पर अधिकार जमाया तो पहली बार यहां के लोगों को गुलामी का एहसास हुआ अब तक सभी विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत को अपना देश स्वीकार कर यहां शासन किया था, किंतु अंग्रेजों ने भारत पर अधिकार करने के बाद अपने देश इंग्लैंड को धन-धान्य से संपन्न करने के लिए इसका पूरा-पूरा शोषण करना शुरू कर दिया| 19वीं सदी में जब अंग्रेजों ने मुगलों का शासन समाप्त कर पूरे भारत पर अपना अधिकार कर लिया तो उनके शोषण एवं अत्याचार में भी वृद्धि होने लगी, फलस्वरुप भारतीय जनमानस दासता की बेड़ियों में जकडता गया| भारत माता गुलामी की जंजीरों में कराहने लगी|
तब "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी" मैं विश्वास करने वाली स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजो के खिलाफ आजादी के संघर्ष का बिगूल फूंक दिया| आजादी का संघर्ष 19वीं शताब्दी के मध्य में प्रारंभ हुआ था| इस संघर्ष में भारत माता के असंख्य वीर पुत्र शहीद हुए ,अनगिनत निर्दोष भारतीय अंग्रेजों के जुल्म के शिकार हुए| मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले बहुत से वीरों को जेल की सलाखों के पीछे नारकीय जीवन व्यतीत करना पड़ा |अधिकतर को काला पानी की सजा दी गई|आजादी आजादी का यह संघर्ष 1947 तक चला और उसके बाद हमें आजादी प्राप्त हुई|
सदियों की परतंत्रता के बाद 15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ तो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उस दिन लालकिले के प्राचीर पर तिरंगा फहराया था| तब से हर वर्ष लाल किले पर इस दिन प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है , झंडे को इक्कीस तोपों की सलामी दी जाती है एवं रंगारंग कार्यक्रम मे आयोजित किए जाते हैं|प्रधानमंत्री झंडा फहराने के बाद देश के नागरिकों को संबोधित करते हुए भाषण भी देते हैं| इसके बाद सभी नागरिक देश के लिए कुर्बान हुए शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने प्राणों की बाजी लगाकर देश की स्वतंत्रता की रक्षा करने का वचन देते हैं| स्वतंत्रता दिवस हमारा राष्ट्रीय त्योहार है इसलिए इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है| स्कूल ,कॉलेज एवं सरकारी कार्यालय के अतिरिक्त निजी कार्यालयों में भी ध्वजारोहण समेत अन्य रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं| इस दिन पूरा राष्ट्र हर्ष ,उल्लास, जोश एवं उत्साह से भरा होता है| लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं| स्कूल कॉलेजों में विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है व विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों के समापन के बाद मिठाई एवं पुरस्कारों का वितरण किया जाता है|
भारत के नागरिक होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि हम इस भावना को नष्ट ना होने दें | सभी त्योहारों में स्वतंत्रता दिवस की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है इस के रूप में हम अपनी राष्ट्रीय एकता का जश्न मनाते हैं यह हमारी राष्ट्रीय एकता का प्रतीक पर्व है |