स्वतन्त्र नियामकीय आयोगों की क्या विशेषताएँ हैं?
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स्वतन्त्र नियामकीय आयोगों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
(1) ये आयोग किसी भी विभाग के अंग रूप में निर्मित नहीं होते हैं, अत: ये कार्यपालिका के नियन्त्रण से भी मुक्त रहते हैं ।
(2) इन आयोगों की अध्यक्षता किसी व्यक्ति विशेष द्वारा नहीं वरन् एक मण्डल द्वारा की जाती है ।
(3) स्वतन्त्र नियामकीय आयोग अपनी नीतियों के निर्माण एवं वित्तीय प्रबन्ध को स्वयं नियन्त्रित करने की क्षमता रखते हैं ।
(4) ये आयोग मुख्य कार्यपालिका (राष्ट्रपति) के प्रति उत्तरदायी न होने के कारण शीर्ष विहीन कहलाते हैं ।
(5) ये आयोग प्रशासकीय कार्यों के साथ-साथ उर्द्ध-विधायी (Quasi-Legislative) एवं अर्द्ध-न्यायिक (Quasi-Judicial) कार्य भी सम्पन्न करते हैं ।
(6) इन आयोगों में सभी वर्गों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाता है । आयोग की सत्ता सदस्यों में बँटी रहती है ।
(7) आयोग के सदस्यों का कार्यकाल राष्ट्रपति के कार्यकाल से लम्बा होता है ।
राष्ट्रपति की पदावधि 4 वर्ष है, जबकि आयोगों का कार्यकाल 5 से 7 वर्ष होता है ।
(8) आयोगों को अपने कार्य के संचालन हेतु पूर्ण वित्तीय अधिकार प्रदान किये जाते हैं ।
(9) इन आयोगों में विशेषज्ञ कार्य करते हैं तथा इनका आकार अपेक्षाकृत छोटा होता है ।