स्वदेशी आंदोलन के प्रभाव
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इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था ब्रिटेन में बने माल का बहिष्कार करना तथा भारत में बने माल का अधिक प्रयोग करके साम्राज्यवादी ब्रिटेन को आर्थिक हानि पहुँचाना और भारत के लोगों के लिये रोजगार सृजन करना था। स्वदेशी आन्दोलन, महात्मा गांधी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का केन्द्र बिन्दु था। उन्होंने इसे स्वराज की आत्मा भी कहा था।
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स्वदेशी आंदोलन से देश की जनता पर यह प्रभाव पड़ा की लोग अपने देश में बने सामानों को ज्यादा महत्व देने लगे, देश में जगह -जगह पर विदेशी सामान का बहिष्कार होने लगा। कई स्थानों पर लोगों ने विदेशी सामानों की होली जलाई। बेचने और खरीदने में देश में बने सामानों को प्रमुखता दी जाने लगी।
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