स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग पर निबंध
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सन 1947 में 1 रुपया 1 डालर के बराबर होता था जो वर्तमान में घटकर 55रुपये 1 डालर के बराबर हो गया है। भारत पर वित्त वर्ष 2011-12 के अंत में विदेशी ऋण मार्च 2011 के 305.9 अरब डॉलर की तुलना में 13 प्रतिशत अर्थात 39.9 अरब डॉलर बढकर 345.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। आजादी के 60 वर्ष बाद भी हमें खिलौने भी चीन के बने हुये प्रयोग करते है। थोक के भाव इंजीनीयर पैदा करने वाले देश में.कैलकुलेटर, मैमोरी कार्ड , सिम कार्ड ...... जैसी छोटी छोटी वस्तऐं भी चीन से आयातित करनी पड रही है।दैनिक रोजमर्रा की वस्तुओं साबुन, सैम्पू, क्रीम, तेल, जूता, कपडे, पैन, घडी, मोबाईल, पानी की बोतल, चाय, काँफी,अचार का डिब्बा,......यहाँ तक नमक भी इनमें अधिकाँश वस्तुऐं विदेशी होती है। अभी भी वक्त है अगर अभी भी हमने ध्यान नहीं दिया तो भारत में आर्थिक गुलामी आ जायेगी। भारत की अर्थव्यवस्था विदेशी कम्पनियों की गुलाम बन जायेगी। कहीं ऎसा ना हो आने वाले समय में हमारी पीढी हमसे कहे जब विदेशी कम्पनियाँ देश लूट रही थी तब तुम क्या फेसबुक चला रहे थे।अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन एसा आयेगा जब हमारे राजनेता वही करेंगें जो विदेशी कम्पनियाँ चाहेगीं। हमारा मिडिया भी वही दिखायेगा जो विदेशी कम्पनियाँ चाहेगीं एसा होना शुरु भी हो गया है।अंग्रजों के समय एक विदेशी कम्पनी थी ईस्ट इण्डिया कम्पनी जिससे मुक्ति दिलाने में लाखों क्रान्तकारियों को बलिदान होना पडा। आज तो हजारों कम्पनियाँ हमें लूट रही है। विश्व बैंक और W.T.O. की शर्तों को मानना आज हमारी मजबूरी बन गया है। अगर रुपये की कीमत और गिरती है तो जो हम पर विदेशी कर्जा है वह कई गुणा हो जायेग।आने वाली आर्थिक गुलामी से बचने का एक मात्र उपाय है स्वदेशी प्रचार।अपने जीवन में जितना सम्भव हो सके स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग कीजिये तभी राजीव भाई के सपनों के भारत का निर्माण हो सकता है।
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आने वाली आर्थिक गुलामी से बचने का एक मात्र उपाय है स्वदेशी प्रचार। अपने जीवन में जितना सम्भव हो सके स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग कीजिये तभी राजीव भाई के सपनों के भारत का निर्माण हो सकता है। ... विदेशी वस्तुओ और कंपनियो का सामान खरीद कर आप धीरे धीरे अपने देश का पैसा बाहर भेज रहे हैं और भारत में गरीबी को बड़ा रहे हैं।
बोकारो, जागरण संवाददाता: स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग से ही देश की आर्थिक उन्नति होगी। स्वाधीनता के वक्त से ही स्वदेशी का नारा लगाया जाता रहा है। आज के दौर में स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना आवश्यक है। ये बातें मुख्य अतिथि बोकारो इस्पात संयंत्र के प्रबंध निदेशक शशि शेखर महांती ने मजदूर मैदान सेक्टर चार में इस्पातांचल स्वदेशी मेला के उद्घाटन समारोह में कही। इससे पूर्व मुख्य अतिथि ने भारत माता की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने दीप प्रज्वलित कर मेला का शुभारंभ किया।
श्री महांती ने कहा कि बोकारो संयंत्र देश का पहला स्वदेशी स्टील प्लांट है। इससे पूर्व भिलाई व राउरकेला स्टील प्लांट की स्थापना हुई। लेकिन इनमें विदेशी उपकरणों का प्रयोग किया गया। बोकारो इस्पात संयंत्र के निर्माण में 70 से 80 प्रतिशत उपकरण देसी लगाए गए। इसलिए हम गर्व से कह सकते हैं कि बोकारो स्टील प्लांट स्वदेशी संयंत्र है।
कहा कि प्लांट के उपकरण तैयार करने के लिए ही एचइसी की स्थापना की गई। यह देश के पूरे प्लांट के लिए उपकरण तैयार करता है। स्वदेशी उत्पाद के क्षेत्र में देशभर में कोशिश जारी है। आने वाले 10-15 वर्ष में इसका परिणाम सामने आएगा।
दुनिया भर के देशों में भारतीय युवा बेहतर कर रहे हैं। यूरोप के अधिकांश वस्तुएं भारतीय ही बनाते हैं। पहले विदेशों से हम सामान आयात करते थे। अब हम खुद सामान का उत्पादन करेंगे और दूसरे देशों को निर्यात करेंगे। एक समय ऐसा आएगा जब सभी सामानों का भारत में ही संभव हो सकेगा
कहा कि पिछले वर्ष स्वदेशी मेले में एक करोड़ रुपए का बिजनेस हुआ था। स्वदेशी मेला बेहतर मार्केटिंग काम्प्लेक्स है। यहां कारीगर अपनी बनाई वस्तुओं की बिक्री करते हैं। साथ ही गर्व का अनुभव करते हैं। यहां से ये जो प्राइड लेकर जाते हैं, वह एक करोड़ से कहीं अधिक है। इससे पूर्व मेला संयोजक दिलीप वर्मा ने आगत अतिथियों का स्वागत किया।
सरस्वती विद्या मंदिर तीन सी की बच्चियों ने स्वागत गान पेश किया। मुख्य वक्ता समाजसेवी जगन्नाथ शाही ने कहा कि यह मेला नहीं मन को तृप्त करने का स्थान है। प्रांतीय संयोजक सचिन्द्र कुमार बरियार ने कहा कि आज-कल देवी-देवताओं की मूर्तियां भी विदेशों से आ रही है। चीन हमारे देश के बाजार पर पैर पसारता जा रहा है और यहां के धन से ही भारत के विरुद्ध आक्रमण की नीति तैयार कर रहा है। इसलिए चाइनीज वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए। पूर्व मंत्री प्रो.रीता वर्मा ने भी स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर बल दिया।
इस अवसर पर संचार प्रमुख संजय तिवारी, भाजपा नेता नंद किशोर राय, अंबिका खवास, अमरेन्द्र कुमार सिंह, कौशल किशोर, प्रो.पीएन वर्णवाल, प्राचार्य शिव कुमार सिंह के अलावा बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।