Hindi, asked by khembavia, 3 months ago

स्वयं पढ़े हुए यात्रावर्णन​

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Answered by ShivanisinghMishra
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what's your question ??????????

Answered by lalage
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महापंडित राहुल सांकृत्यायन हिंदी में 'घुमक्कड़-शास्त्र' के प्रणेता थे. वो जीवन-भर भ्रमणशील रहे.ज्ञान के अर्जन में उन्होंने सुदूर अंचलों की यात्राएं कीं. उन पर अनेक किताबें लिखीं.'किन्नर देश में' हिमाचल प्रदेश में तिब्बत सीमा पर सतलुज नदी की उपत्यका में बसे सुरम्य इलाक़े किन्नौर की यात्रा-कथा है.यह यात्रा उन्होंने साल 1948 में की थी. मूल शब्द 'किन्नर' है, इसलिए राहुलजी सर्वत्र इसी नाम का प्रयोग करते हैं.कभी बस और घोड़े के सहारे और कभी कई दफ़ा पैदल भी की गई यात्रा का वर्णन करते हुए राहुलजी क्षेत्र के इतिहास, भूगोल, वनस्पति, लोक-संस्कृति आदि अनेक पहलुओं की जानकारी जुटाते हैं.किताब का सबसे दिलचस्प पहलू वह है जहां वे अपने जैसे घुमक्कड़ों की खोज कर उनका संक्षिप्त जीवन-चरित भी लिखते हैं.उन्हें एक ऐसा यात्री मिला जो पांच बार कैलाश-मानसरोवर हो आया था. उसने सैकड़ों यात्राएं कीं और डाकुओं ही नहीं, मौत से दो-चार हुआ और बच आया.पुस्तक का अंतिम हिस्सा सूचनाओं से भरा है, जहां वो किन्नौर के अतीत, लोक-काव्य और उसका हिंदी अनुवाद, किन्नर भाषा का व्याकरण और शब्दावली समझाते हैं.

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