स्वयं सुधरेगा जग सुधरेगा पर निबंध
Answers
Explanation:
अन्ना हज़ारे ने आज देष के हरेक नौजवान के दिल में यह हौसला और जागृति पैदा कर दी है कि हम भारतीयों को भ्रष्टता के साथ जीना छोड़ देना चाहिये। आज भारत का बच्चा-बच्चा अपने हृदय में बदलाव की आकांक्षा लेकर इस बात पर अड़ा है कि हमें जन लोकपाल चाहिये। इसी आशा को लेकर हम भारतीय आगे बढ़ चुके हैं और सफ़लता की मंजिल को पाने के लिये पूर्णोत्साहित होकर बलिदानों की भेंट लिये आगे बढ़ते जा रहे हैं।
अपवाद का कोई एक ठिकाना नहीं है। इसीलिये हमारे समाज में से ही कुछ लोग मुंह फोड़ कर बोल तो देते हैं कि ‘‘अन्ना कुछ नहीं वरन् बवाल कर रहे हैं, वह कानून बनाना तो चाहते हैं परन्तु क्रियान्वयन के दायरे में कौन लायेगा, यहाँ तक कि लोग ऐसा भी कहते हैं कि जब अन्ना के लोकपाल में स्वयं ही कुछ कमियां हैं, जिनको स्वयं अन्ना भी जानते हैं तो फिर वह क्यों अपनी बात पर अड़े हुए हैं। नहीं! सच्चाई तो यह है कि अन्ना के कारण ही सम्पूर्ण भारत के कोने-कोने का बच्चे-बच्चे, नवजवानों और युवतियों के भीतर भलाई की एक चाह मज़बूत हुई है।
परन्तु कमी अभी भी है। हम भारत के कोने-कोने से चिल्ला तो रहे हैं कि अन्ना हम तुम्हारे साथ हैं परन्तु क्या हम अभी तक ये निर्धारण कर पाये हैं कि हमारे स्वयं के अन्दर कितने प्रतिशत भ्रष्टता व्याप्त है? हम स्वयं कितने भ्रष्टाचारी हैं? जब भी हमारा स्वयं का कोई काम अटकता है तो हम भारतीय ही हैं जो बेशर्मी के साथ अपनी जेब से सौ-पचास का नोट निकाल कर अपने सामने कुर्सी पर बैठे अधिकारी/कर्मचारी को थमाते हैं, जब भी चुनाव का दौर आता है तो हम ये नहीं सोचते हैं कि हमें किसे वोट देना चाहिये और किसे नहीं, बस सीधे ही ‘‘अपने प्रतिनिधि’’ को सपोर्ट देना प्रारम्भ कर देते हैं, जब भी ह