संयुग्मी अम्ल एवं संयुग्मी Saraमें उदाहरण
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ब्रान्स्टेड तथा लॉरी का अम्ल-क्षार सिद्धान्त
इस सिद्धान्त की मूल अवधारणा यह है कि जब कोई अम्ल और क्षार एक-दूसरे के साथ अभिक्रिया करते हैं, तो प्रोटॉन ( H+) के आदान-प्रदान के द्वारा अम्ल अपना संयुग्मी क्षार बनाता है, तथा क्षार अपना एक संयुग्मी अम्ल।
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