संयोग श्रृंगार रस के उदाहरण और वियोग श्रृंगार रस के उदाहरण
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संयोग श्रृंगार रस का उदाहरण-
बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय, सौंह करे भौंहन हंसे देन कहे नटि जाय!! ... Shringar Ras राम के रूप निहारति जानकी कंकन के नग की परछाहीं । याती सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाहीं
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वियोग श्रृंगार रस का उदाहरण-
उधो, मन न भए दस बीस। एक हुतो सो गयौ स्याम संग, को अवराधै ईस॥ इन्द्री सिथिल भईं सबहीं माधौ बिनु जथा देह बिनु सीस। तुम तौ सखा स्यामसुन्दर के, सकल जोग के ईस।
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श्रृंगार रस-शृंगार रस का आधार स्त्री-पुरुष का सहज आकर्षण है। स्त्री-पुरुष में सहज रूप से विद्यमान रति नामक स्थायीभाव, विभाव, अनुभाव और संचारीभाव के संयोग से आनंद लेने योग्य हो जाता है, तब इसे शृंगार रस कहते हैं।
अनुभूतियों के आधार पर शृंगार रस के दो भेद होते हैं –
(क) संयोग शृंगार रस
(ख) वियोग शृंगार रस
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