संयुक्त परिवार का म्हत्व पर निबंध 500 शब्द
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व्यक्ति का परिवार उसका छोटा संसार होता है। हम अपने जीवन में जो कुछ भी प्राप्त कर पाते हैं, वह परिवार के सहयोग और समर्थन स्वरूप ही प्राप्त कर पाते हैं। हमारे पालन-पोषण को हमारा परिवार अपनी पहली प्राथमिकता समझता है और जब तक हम सक्षम नहीं हो जाते हमारी सभी जरूरतों की पूर्ति निःस्वार्थ भाव से करता है।
परिवार के प्रकार
जैसा की हम सभी जानते हैं, परिवार के दो प्रकार है - मूल तथा संयुक्त परिवार। मूल परिवार की बात करें तो यह पश्चिमी देशों की सभ्यता है। जिसमें दम्पति अपने बच्चों के साथ निवास करता है, पर परिवार का यह स्वरूप अब विश्वभर में देखा जा सकता है। संयुक्त परिवार, संयुक्त परिवार की अवधारणा भारत की संस्कृति की छवि को दिखाता है। संयुक्त परिवार जिसमें दो पीढ़ी से अधिक लोग एक साथ निवास करते हैं जैसे दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ आदि।
व्यक्ति के जीवन में परिवार की भूमिका
एक बच्चे के रूप में हमें जन्म देने के बाद परिवार में उपस्थित माता-पिता हमारा पालन पोषण करते हैं। ब्रश करने तथा जूते का फीता बाँधने से लेकर पढ़ा-लिखा कर समाज का एक शिक्षित वयस्क बनाते हैं। भाई-बहन के रूप में घर में ही हमें दोस्त मिल जाते हैं, जिनसे अकारण हमारी अनेक लड़ाई होती है। भावनात्मक सहारा और सुरक्षा भाई-बहन से बेहतर और कोई नहीं दे सकता है। घर के बड़े-बुजुर्ग के रूप में दादा-दादी, नाना-नानी बच्चे पर सर्वाधिक प्रेम न्यौछावर करते हैं।
कटु है पर सत्य है, व्यक्ति पर परिवार का साया न होने पर व्यक्ति अनाथ कहलाता है। इसलिए समृद्ध या गरीब परिवार का होना आवश्यक नहीं पर व्यक्ति के जीवन में परिवार का होना अतिआवश्यक है।
निष्कर्ष
समाज में हमारे पिता के नाम के साथ हमें पहचान दिलाने से लेकर हमारे पिता को हमारे नाम से जानने तक, परिवार हमें हर प्रकार से सहयोग प्रदान करता है। परिवार के अभाव में हमारा कोई अस्तित्व नहीं है अतः हमें परिवार के महत्व को समझने की चेष्टा करनी चाहिए
निबंध – 3 (500 शब्द)
परिचय
आगस्त कॉम्त (Auguste Comte) की शब्दों में,“परिवार के अभाव में समाज की कल्पना नहीं की जा सकती, परिवार समाज की अधारभूत इकाई है”। यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है परिवार के समूह से समुदाय तथा समुदायों से समाज का निर्माण होता है। इसलिए परिवार को समाज की इकाई के रूप में देखा जाता है।
समाज में परिवार का महत्व
सभ्य परिवारों के समूह से सभ्य समाज का निर्माण होता है। जबकी इसके विपरीत समाज में एक बुरे आचरण का अनुसरण करने वाला परिवार पूरे समाज के लिए श्राप सिद्ध हो सकता है। इस कारणवश स्वच्छ समाज के लिए अच्छे परिवारों का होना अति आवश्यक है।
नेल्सन मंडेला के अनुसार
“किसी समाज की आत्मा की सबसे अच्छी पहचान इसी से होती है कि वह अपने बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करता है।”
समाज पर परिवार का प्रभाव
बढ़ते उम्र के बच्चों के लिए परिवार का व्यवहार सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। देश में होने वाले अपराधों में बाल अपराध के मामलात दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहें हैं। बाल अपराध से आशय बच्चों द्वारा किए गए अपराध से है। बच्चों के बाल अपराधी बनने के कई कारणों में से एक परिवारिक व्यवहार भी है। माता-पिता के आपसी तनाव या अपने में व्यस्त रहने के वजह से बच्चे पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है तथा आगे चल कर वह समाज के प्रतिकूल काम कर सकते हैं।
इस कारणवश परिवार का सही मार्ग दर्शन बच्चे के साथ-साथ समाज के लिए भी अति आवश्यक है।
परिवार महत्वपूर्ण क्यों है?
व्यक्ति के व्यक्तित्व का पूर्ण निर्माण परिवार द्वारा होता है इसलिए सदैव समाज व्यक्ति के आचरण को देखकर उसके परिवार की प्रशंसा या अवहेलना करता है।
व्यक्ति के गुणों में जन्म से पूर्व ही उसके परिवार के कुछ अनुवांशिक गुण उसमें विद्यमान रहते हैं।
व्यक्ति की हर परेशानी (आर्थिक, समाजिक, निजी) परिवार के सहयोग से आसानी से हल हो सकती है।
मतलबी दुनिया में जहां किसी का कोई नहीं होता वहां हम परिवार के सदस्यों पर आख बंद कर के विश्वास कर सकते हैं।
परिवार व्यक्ति को मजबूत रूप से भावनात्मक सहारा प्रदान करता है।
जीवन में सब कुछ प्राप्त कर पाने की काबिलियत हमें, परिवार द्वारा प्रदान की जाती है।
परिवार के सही मार्ग दर्शन से व्यक्ति सफलता के उच्च शिखर को प्राप्त करता है इसके विपरीत गलत मार्ग दर्शन में व्यक्ति अपने पथ से भटक जाता है।
हमारे जीत पर हमारी सराहना तथा हार पर संतावना परिवार से मिलने पर हमारा आत्मविश्वास बढ़ जाता है। यह हमारे भविष्य के लिए कारगर साबित होता है।
परिवार के प्रति हमारा दायित्व
परिवार से प्राप्त प्यार और हमारे प्रति उनका निस्वार्थ समर्पण हमें उनका सदैव के लिए ऋणी बनाता है। अतः हमारा, हमारे परिवार के प्रति भी विशेष कर्तव्य बनता है।
बच्चों को सदैव अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन करना चाहिए और स्वयं की बात समझाने का प्रयास करना चाहिए। किसी बात के लिए हठ करना उचित नहीं।
परिवार के इच्छाओं और अपेक्षाओं पर सदैव खरा उतरने का प्रयास करना चाहिए।
बच्चों और परिवार के मध्य कितना भी अनबन हो बच्चों को परिवार से दूर कभी नहीं होना चाहिए।
जिस बातों पर परिवार सहमत नहीं हैं, उन बातों पर पुनः विचार करना चाहिए और स्वयं समझने का प्रयास करना चाहिए।
निष्कर्ष
हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र होने के बावजूद अनेक बंधनों, जिम्मेदारियों, प्रेम तथा प्रतिबंधों से बंधे होते हैं। एक परिवार का महत्व, समाज के लिए उतना ही है, जितना की एक बच्चे के लिए है, अतः हमारे जीवन के लिए परिवार महत्वपूर्ण आवश्यकता है।