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कविता – “इन सा नहीं कोई दूजा”
कविता
By YPrashn -September 7, 202182 0
माता-पिता की करूँण तपस्या
प्यार स्नेह ममता की काया
जीवन पाठ पढ़ाने वाली
इनके सिवा सब छल की माया
लाड़ प्यार से दिए सहारे
थामें रखा साथ हमारे
हरदम ऊँगली थामे रखा है
न डिगने दिया पैर हमारे ।
छोटी सी चोट लगी तो
आह ! माँ के दिल से आई
मेरे सपने पूरे करने
पिता ने अपनी उम्र गवाई
ऊँगली पकड़कर चलना सिखाया
जीवन पथ क्या हमें बताया
सब कुछ दिया हमें जो हमने चाहा
मुख उनके कभी न, नही कहा ।
मेरी जिद किये पूरी हमेशा
न रहने दी अधूरी इच्छा
ऐसा नहीं कोई भी किसा
सफलता की हमेशा शिक्षा
खूब सिखाई हमें होशियारी
कभी पिछड़ न पाऊं
हो जाऊं जीवन में आगे
जग में मात कभी न पाऊं ।
मात-पिता के आशीष से
हरदम आगे बढ़ता जाऊं
जितना झुकूं इनके चरणों में
उतना ऊँचा उठता जाऊं
माता-पिता की एक ही आस
बुढ़ापे में बने उसका साथ
हर संतान से एक गुहार
न करना कभी मन से बहार ।
बहुत कुछ किया हमें बढ़ाने को
बहुत कुछ सहा हमें हँसाने को
इनकी उम्मीद रखे याद हम
कभी न हो इनकी आँखें नम ।
कवि / लेखक –
श्याम कुमार कोलारे
सामाजिक कार्यकर्ता