स्याम कहा चाहत से डोलत।
पूछे तें तुम बदन दुरावत, सूधे बोल न बोलत ॥
पाए आइ अकेले घर में, दधि भाजन में हाथ।
अब तुम काको नाउँ लेउगे, नाहिन कोऊ साथ।
मैं जान्यो यह घर अपुनौ है, या धोखे में आयो।
देखत ही गोरसमय चींटी, काढ़न को कर नायो॥
सुनि मृदु वचन, निरखि मुख सोभा, ग्वालिनी मुरि मुसकानी ।
सूर स्याम तुम हो अति नागर बात तिहारी जानी॥
- सूरदास pls explain
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kabeer Khan Syed jjaksn jsoem he diemos. fgaowk
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