सायकल की आत्मकथा इस विषय पर 70 ते 80 शब्दो मे निबंध लिखिये.
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मैं साइकिल हूं जिसका उपयोग आपने अपने जीवन में कभी ना कभी जरूर किया होगा या आपने मेरी सवारी तो जरूर की होगी। मुझे दुनिया में हर कोई पहचानता है और गांव हो या शहर, चाहे गली हो या बड़ी सड़क हर जगह उपयोग भी किया जाता है। बड़े व्यक्ति अधिकतर मेरा उपयोग कम दूरी को तय करने के लिए करते हैं जबकि बच्चे सिर्फ मेरा आनंद लेने के लिए मुझे चलाते हैं।
मुझे चलाने के लिए पेट्रोल, डीजल, सीएनजी आदि इर्धनों की आवश्यकता भी नहीं होती है। यही कारण है कि मैं पर्यावरण हितैषी हूं। अतः मेरे कारण पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता है। मेरा एक और फायदा यह भी है कि मुझे चलाने के लिए किसी इर्धन की आवश्यकता नहीं पड़ती जिससे मैं और वाहनों से सस्ती पड़ती हूं।
सिर्फ इतना ही नहीं, मुझे चलाने से लोगों की कसरत भी होती है जो उनके स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। चाहे बच्चा हो या वृद्ध सभी के लिए कसरत जरूरी होती है। मुझे हर उम्र का व्यक्ति इस्तेमाल करता है, इसलिए मैं हर उम्र के व्यक्ति की सेहत का ख्याल अच्छे से रखती हूं।
आज के समय में मेरा उपयोग दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है। लोग अब मेरा उपयोग पहले के मुकाबले कम करने लगे हैं। वे अब मोटरसाइकिल का उपयोग मुझसे ज्यादा करते हैं। मगर पहले ऐसा नहीं था और सब मुझे ही कम दूरी तय करने के लिए इस्तेमाल करते थे। चाहे कोई भारी समान कहीं से लाना हो या कहीं पर समान छोड़ना हो लोग मुझे ही उपयोग में लाते थे। कई बच्चे सुबह मुझ पर बैठकर ही स्कूल जाते थे।
मगर समय परिवर्तनशील है और समय के साथ हर चीज बदलती रहती है। यही कारण है कि आज मेरा अस्तित्व भी समाप्त होता जा रहा है। आज लोग समय के प्रति काफी ज्यादा उदारवादी हो चुके हैं और वे अब उन संसाधनों का उपयोग अधिक करते हैं जो उनका समय बचाती है। अगर आप मेरी गति देखें तो मेरी गति मोटरसाइकिल के मुकाबले कम होती है जो मेरी सबसे बड़ी कमी है। इसी कमी के कारण आज मेरा उपयोग काफी कम हो गया है।हालांकि, आज भी काफी लोग मेरा उपयोग अपने दैनिक जीवन में करते हैं। वें मेरी मदद से अपने आसपास के क्षेत्रों की दूरी तय करते हैं। बच्चे आज भी मुझ पर बैठकर एक जगह से दूसरी जगह तक जाने के सफर का आनंद अच्छे से लेते हैं। यह बात मुझे काफी खुशी प्रदान करती है और मैं अपने आप पर गर्व महसूस करती हूं।
हालांकि, आज भी काफी लोग मेरा उपयोग अपने दैनिक जीवन में करते हैं। वें मेरी मदद से अपने आसपास के क्षेत्रों की दूरी तय करते हैं। बच्चे आज भी मुझ पर बैठकर एक जगह से दूसरी जगह तक जाने के सफर का आनंद अच्छे से लेते हैं। यह बात मुझे काफी खुशी प्रदान करती है और मैं अपने आप पर गर्व महसूस करती हूं।