Hindi, asked by rajeshekka3106, 1 year ago

saakhee doha by kabirdas explanation line by line

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Answered by Anonymous
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मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं।
मुकताफल मुकता चुगैं, अब उड़ि अनत न जाहिं।1।


भावार्थ :-कबीर दास जी अपने इसदोहे में हमें यह बताना चाहते हैं की प्रभु भक्ति में ही मुक्ति का मार्ग है और उसी मेंहमें परम आनंद की प्राप्ति होगी। उन्होंने इस दोहे में हंसो का उदहारण देते हुए हमें यह बताया है की जिस तरह हंस मानसरोवर के जल में क्रीड़ा करते हुए मोती चुग रहे हैं और उन्हें इस क्रीड़ा में इतना आंनद आ रहा है की वो इसे छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहते। उसी तरह जब मनुष्य इस्वर भक्ति में खुद को लीन करके परम मोक्षकी प्राप्ति करेगा तो मनुष्य को इस मार्ग में अर्थात प्रभु भक्ति में इतना आनंद आएगा की वह इस मार्ग को छोड़कर कहीं और नहीं जायेगा और निरंतर प्रभु भक्ति में लगा रहेगा।


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