Hindi, asked by ipshita14, 1 year ago

saar of parvat pradesh mei pawas

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Answered by MENTOR90
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यह एक ऐसी कविता है जो कि पर्वत के प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता को प्रस्तुत​ करती है। पंत जी हमेशा से ही पर्वत को प्रकृति को अपनी मां काली दर्जा देते थे। इसलिए उनकी कविताओं में प्रकृति का सुंदर वर्णन मिलता है।


इस कविता को पढ़कर ऐसा महसूस होता है मानो हम अपनी आँखों से ही पर्वतीय प्रदेश के सुंदरता की कल्पना कर पाते हैं। जिन लोगों ने कभी पर्वतीय क्षेत्र में भ्रमण नहीं की है, वह पंत जी की कविता से सौन्दर्य की अनुभूति ले सकता है।


इस कविता में पंत जी ने पर्वतीय क्षेत्र का वर्णन करते हुए कहा है कि यहाँ का सौन्दर्य अद्भुत है। यहां कि प्रकृति हर समय अपना रूप बदलती है। ऊंची पहाड़, जलाशय, तने हुए पेड़, पहाड़ों से कल-कल करते झरने, आकाश में छाए बादल आदि रूपों में प्रकृति अपनी मनोरम छवि दिखा रही है।


कवि प्रकृति के सौन्दर्य का वर्णन करते हैं और अपनी लेखनी के माध्यम से पाठक को बांधे रखते हैं। हिन्दी में पावस का अर्थ होता वर्षाकाल। शीर्षक का आशय भी यही है कि पर्वतों में वर्षाकाल का समय।

Answered by binmusab123a
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Answer:

Explanation:

कवि ने इस कविता में प्रकृति का ऐसा वर्णन किया है कि लग रहा है कि प्रकृति सजीव हो उठी है। कवि कहता है कि वर्षा ऋतु में प्रकृति का रूप हर पल बदल  रहा है कभी वर्षा होती है तो कभी धूप निकल आती है। पर्वतों पर उगे हजारों फूल ऐसे लग रहे है जैसे पर्वतों की आँखे हो और वो इन आँखों के सहारे अपने आपको अपने चरणों ने फैले दर्पण रूपी तालाब में देख रहे हों। पर्वतो से गिरते हुए झरने कल कल की मधुर आवाज कर रहे हैं जो नस नस को प्रसन्नता से भर रहे हैं। पर्वतों पर उगे हुए पेड़ शांत आकाश को ऐसे देख रहे हैं जैसे वो उसे छूना चाह रहे हों।  बारिश के बाद मौसम ऐसा हो गया है कि घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों,चारों ओर धुँआ होने के कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई है। ऐसा लग रहा है कि ऐसे मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखता हुआ घूम रहा है।

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