Hindi, asked by Anonymous, 1 year ago

Saare Raso ke Example Dedo.. Taaki Mein Yaad Kar Lo..
And Best Of Luck 10th walo Ache se paper likhna

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Answered by Rdxmindmaster
0
dont panic what will we ask only 4 marks इनकी संख्या ११ है :-- 
शृंगार , हास्य , रौद्र , करुण , वीर , अदभुत ,वीभत्स , भयानक , शान्त , वात्सल्य , भक्ति ।
 परन्तु; जिस प्रकार जिह्वा के बिना रस का आस्वादन नहीं किया जा सकता ,ठीक उसी प्रकार स्थायी भाव के बिना साहित्य के रस का आस्वादन नहीं किया जा सकता है। 

स्थायी भाव

हमारे हृदय में सदा - सर्वदा से विराजित रहने वाले भाव जिनसे हम अपनी भावनाएँ प्रकट कर सकने में समर्थ होते हैं, वे स्थाई भाव कहलाते हैं।ये भाव हमारे भीतर जन्म से होते हैं और मृत्यु पर्यन्त रहते हैं। समय और परिस्थिति के अनुरूप ये स्वत: प्रकट होते रहते हैं ; अत: इन्हें स्थायी भाव कहते हैं।

स्थायी भावों की संख्या ११ मानी गई हैं :--
 
रति, हास , क्रोध , शोक , उत्साह , विस्मय  जुगुप्सा (घृणा) , भय, 
निर्वेद (शम) , सन्तान के प्रति प्रेम , भगवान के प्रति प्रेम ।

 रस और उनके स्थायी भाव ,  देवता  तथा  रंग :--

   रस    -  स्थायी भाव -   देवता      -  रंग
 
१ - शृंगार     -   रति   -   विष्णु     -  श्याम
२ - हास्य     -   हास   -   प्रमथ     -  सित
३ - रौद्र      -  क्रोध    -  रुद्र       -   रक्त
४ - करुण     -   शोक  - यमराज      -  कपोत
५ - वीर      -  उत्साह   -  इंद्र       -   गौर
६ - अदभुत   -   विस्मय -    ब्रह्मा    -   पीत
७ - वीभत्स  - जुगुप्सा (घृणा) - महाकाल  -   नील
८ - भयानक -  भय          - कालदेव  - कृष्ण 
९ - शान्त    - निर्वेद (शम)  - नारायण  - कुंदेंदु
१० - वात्सल्य - सन्तान - प्रेम  -   --  -   --
११ - भक्ति   -  भगवत् - प्रेम   -   --  -   --
Answered by Anonymous
3
Hey mate....

here's ur answer....

1   श्रृंगार रस  - "गाता शुक जब किरण बसंती छूती अंग पर्ण से छनकर
किंतु शुकी के गीत उमड़कर रह जाते सनेह में सन कर"


2    वीर रस - " वह खून कहो किस मतलब का जिसमें उबाल का नाम नहीं
वह खून कहो किस मतलब का आ सके देश के काम नहीं"


3    शांत रस - " माली आवत देखि के कलियनुँ करे पुकार
फूले फूले चुन  लई काल्हि हमारी  वार"


4    करुण रस - "हां सही न जाती मुझसे अब आज भूख की ज्वाला 
कल से ही प्यास लगी है हो रहा ह्रदय मतवाला"


5   रौद्र रस - "रे नृप बालक काल बस बोलत तोहि न संभार
धनुही सम त्रिपुरारी धनु विदित सकल संसार "


6 भयानक रस - "एक ओर अजगर ही लखि एक ओर मृग राय
विकल बटोही बीच ही परर्यो  मूर्छा खाए"


7 वीभत्स रस  - "सिर पर बैठ्यो काग आंख दोउ खात निकारत
खींचत जीभहिं स्यार अतिहिआनंद उर धारत"


8 अद्भुत रस -"अखिल भुवन चर अचर सब हरि मुख में लखि मातु
चकित भई गद् गद वचन विकसित दृग पुलकातु"


9 हास्य रस -"लाला की लाली यों बोली 
सारा खाना ये चर जाएंगे 
जो बच्चे भूखे बैठे हैं 
क्या पंडित जी को खाएँगे "।


Hope it helps❤
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