'सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि इस पंक्ति का क्या आशय है?
(क) दीपक हो तो सब कुछ दियाई हेता हैं।
(ख) दीपक तले अँधेरा होता है।
(ग) दीपक जलने पर अंधकार नष्ट होता है।
(घ) वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति होने पर भ्रम दूर हो जाता है।
Answers
उत्तर: घ) वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति होने पर ही भ्रम दूर हो जाता है।
" जब मैं था तब हरी नहीं , अब हरी है मैं नाही सब अंधियारा मिटि गया , जब दीपक देख्या मांहि"
व्याख्या :
प्रस्तुत दोहे में संत कबीदास जी कहते हैं कि ईश्वर की प्राप्ति "मैं" अर्थात स्वयं के अंधकार को दूर करके स्वयं ही प्राप्त हो जाती है। जिस प्रकार दीपक जलने से अंधकार स्वयं मिट जाता है , उसी प्रकार अपने अंधकार को दूर कर वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति होने पर ईश्वर की प्राप्ति स्वयं हो जाती है। मनुष्य को ईश्वर को प्राप्त करने के लिए स्वयं के अंधकार को दूर करना पड़ेगा। "जब मैं था तब हरी नहीं , अब हरी है मैं नाहि" पंक्ति में कबीरदास जी कहना चाहते हैं कि मानव मन में ईश्वर और अंधकार का निवास कभी भी एक साथ नहीं हो सकता।
काव्य सौंदर्य :
- अलंकार : अनुप्रास , रूपक
- भाषा : साधुक्कड़ी
- रस : शांत
- छंद : दोहा
'सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि' इस पंक्ति का क्या आशय है की वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति होने पर भ्रम दूर हो जाता है।
- यह कबीर साखी द्वारा लिखी गई एक पंक्ति है।
- यह रेखा कबीर के दोहे के अंदर के कबीर पंथी में लिखी गई है।
- हिंदू धर्म का भक्ति आंदोलन 15 वीं शताब्दी में रहने वाले एक भारतीय रहस्यवादी कवि और संत कबीर दास के लेखन से प्रभावित था। उनकी कविताएं गुरु ग्रंथ साहिब, संत गरीब दास के सतगुरु ग्रंथ साहिब और कबीर सागर में पाई जा सकती हैं।
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