Hindi, asked by ajitkumarast890, 2 days ago

सब पेड़ मरने से पहले संतान छोड़ जाने के लिए व्यृग​

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Answered by crankybirds31
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Answer:

मेरे खयाल से माँ की ममता ही वह मणि है। संतान पर स्नेह निछावर होते ही फूल खिलखिला उठते हैं। ममता का परस पाते ही मानो माटी व ‘अंगार’ के फूल बन जाते हैं। पेडों पर मसकराते फल देखकर हमें कितनी खुशी होती है! शायद पेड भी कम प्रफुल्लित नहीं होते! खुशी के मौके पर हम अपने परिजनों को निमंत्रित करते हैं। उसी प्रकार फूलों की बहार छाने पर गाछ-बिरछ भी अपने बंधु-बांधवों को बुलाते हैं। स्नेहसिक्त वाणी में पुकार सकते हैं, ‘कहाँ हो मेरे बंधु’, मेरे बांधव आज मेरे घर आओ।

Answered by sudiproul112
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Answer:

Answer: मेरे खयाल से माँ की ममता ही वह मणि है। संतान पर स्नेह निछावर होते ही फूल खिलखिला उठते हैं। ममता का परस पाते ही मानो माटी व 'अंगार' के फूल बन जाते हैं।

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