Sab padhe Sab badhe essay
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शिक्षा एक ऐसा जादू है जिससे हम किसी भी मनचाही वस्तु को प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का अर्थ है – सीखना। शिक्षा द्वारा मनुष्य में सच बोलना, अंहिसा, चोरी न करना, दूसरों के लिए प्रेम, सहानुभूति, उदारता, विनम्रता व सहनशीलता आदि जैसे गुणों का विकास होता है। शिक्षा मानव जीवन को शांत और सुखी बनाती है। यदि हम बच्चों को शिक्षा नहीं देंगे तो वे अच्छे नागरिक नहीं बनेंगे।
शिक्षा के अभाव में मनुष्य पशु के समान है और उसमें ईर्ष्या ,वैर,कलह आदि के भाव पैदा हो जाते हैं। बच्चों का जीवन कच्चे घड़े के समान होता है। हम उन्हें जैसी शिक्षा और संस्कार देंगे वे वैसे ही बन जाएंगे। इसलिए यदि माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे तो ही वह अच्छे और योग्य नागरिक बनकर देश के विकास में सहायक सिद्ध होंगे.सभी बच्चों को शिक्षित करने के लिए भारत सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान भी चलाया है .ताकि देश का हर बच्चा शिक्षा जैसे मौलिक अधिकार से वंचित न हो.शिक्षा एक ऐसा धन है जिसे कोई चुरा नहीं सकता .शिक्षित व्यक्ति कभी भूखा नहीं मरता.वह कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अपना जीवनयापन कुशलता से कर सकता है.अनपढ़ता किसी भी देश के लिए सबसे बड़ा कंलक और अभिशाप होता है क्योंकि अनपढ़ व्यक्ति का नैतिक ,मानसिक व शैक्षणिक विकास नहीं हो पाता जिसके अभाव में वह अन्धविश्वास और रूढ़िवादिता जैसी कुरीतियों में फसता चला जाता है और लोग उसे मूर्ख समझकर ठगते हैं व उसका शोषण करते हैं.शिक्षा हमारे लिए इसलिए जरूरी है क्योंकि इसके द्वारा मनुष्य में आत्मविश्वास,आगे बढ़ने की उमंग ,कुछ करने का जज्बा और अपनी मंजिल को पाने की इच्छा होती है.
आज हम महात्मा गाँधी ,इन्द्रिरा गाँधी ,जवाहरलाल नहेरू आदि का नाम बहुत आदर -सम्मान से लेते हैं जिन्होंने अपनी शिक्षा द्वारा ही भारत का उचित मार्ग-दर्शन किया है .किसी भी देश की उन्नति और विकास का आधार शिक्षा ही है .यही कारण है कि रूस,अमरीका,जर्मनी जैसे विकसित देश विश्व में प्रथम स्थान पर हैं.शिक्षित व्यक्ति न केवल अपने अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूक होता है बल्कि वह दूसरों को भी आगे बढ़ने की भी प्रेरणा देता है ,जबकि अनपढ़ व्यक्ति स्वयं तो दुखी होता ही है और वह दूसरों के लिए भी दु:ख और परेशानी का कारण बनता है.शिक्षा के अभाव में मनुष्य अन्धे के समान होता है क्योंकि उसकी आँखों में ज्ञान की ज्योति नहीं होती और ज्ञान के अभाव में वह अपने भविष्य के बारे में कुछ नहीं सोच पाता और जीवन-भर दर-दर की ठोकरे खाता है .
शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है.अपने देश से निरक्षरता यानिकी अनपढ़ता को हटाने के लिए हमें प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षित करना होगा.इसके लिए यदि स्वयंसेवी संस्थाएं और युवा वर्ग इस साक्षरता अभियान की बागडोर को अपने हाथों में ले लें और प्रण कर लें कि प्रत्येक व्यक्ति कम से कम एक व्यक्ति को शिक्षित करेगा तो हम अपने देश को पूर्ण साक्षर बना सकेंगे.इसलिए हमें प्रौढ़ -शिक्षा मतलब बुजुर्गों को भी पढ़ाना होगा.इसके साथ-ही-साथ जिन गाँवों और कस्बों में जहाँ स्त्रियों व गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित रखा जाता है.उन्हें भी शिक्षा देने के लिए हमें प्रयास करने होंगे.इस तरह जब देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित होगा तो हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि आने वाले समय में हमारे देश में बच्चे शिवाजी,महाराणा प्रताप,जवाहरलाल नहेरू व महात्मा गाँधी के पदचिह्न पर चलकर अपने देश की उन्नति व विकास में सहायक सिद्ध होंगे.इसलिए आओं हम सब मिलकर एक नारा बुलन्द करें – सब पढ़ें,आगे बढ़ें।
सब पढ़े सब बढ़े
राष्ट्र को सभी मोर्चों पर आगे बढ़ने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को एक शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए; एक शिक्षित व्यक्ति सुख, समृद्धि और समृद्धि की ओर ले जाएगा। कष्ट, कष्ट और कष्ट होंगे। इसलिए प्रत्येक माता-पिता के लिए यह नैतिक रूप से आवश्यक है कि वे अपने बच्चों को शिक्षित करें, क्योंकि ऐसा करने से प्रत्येक परिवार, समाज और राष्ट्र में खुशी और सफलता आएगी। मनुष्य बिना शिक्षा के पशु के समान है,। बच्चों का जीवन कच्चे घड़े के समान होता है। हम उन्हें जैसी शिक्षा और संस्कार देंगे वे वैसे ही बन जाएंगे। नतीजतन, केवल अगर माता-पिता अपने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं, तो वे दिखा सकते हैं कि वे अपने राष्ट्र के विकास में योगदान देने में सक्षम हैं। सभी बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से, टी .शिक्षित व्यक्ति कभी भूखा नहीं मरता.वह कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अपना जीवनयापन कुशलता से कर सकता है.अनपढ़ता किसी भी देश के लिए सबसे बड़ा कंलक और अभिशाप होता है क्योंकि अनपढ़ व्यक्ति का नैतिक ,मानसिक व शैक्षणिक विकास नहीं हो पाता जिसके अभाव में वह अन्धविश्वास और रूढ़िवादिता जैसी कुरीतियों में फसता चला जाता है और लोग उसे मूर्ख समझकर ठगते हैं व उसका शोषण करते हैं.शिक्षा हमारे लिए इसलिए जरूरी है क्योंकि इसके द्वारा मनुष्य में आत्मविश्वास,आगे बढ़ने की उमंग ,कुछ करने का जज्बा और अपनी मंजिल को पाने की इच्छा होती है. शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है.अपने देश से निरक्षरता यानिकी अनपढ़ता को हटाने के लिए हमें प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षित करना होगा.इसके लिए यदि स्वयंसेवी संस्थाएं और युवा वर्ग इस साक्षरता अभियान की बागडोर को अपने हाथों में ले लें और प्रण कर लें कि प्रत्येक व्यक्ति कम से कम एक व्यक्ति को शिक्षित करेगा तो हम अपने देश को पूर्ण साक्षर बना सकेंगे. इसलिए हमें प्रौढ़ -शिक्षा मतलब बुजुर्गों को भी पढ़ाना होगा.इसके साथ-ही-साथ जिन गाँवों और कस्बों में जहाँ स्त्रियों व गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित रखा जाता है.उन्हें भी शिक्षा देने के लिए हमें प्रयास करने होंगे. इस तरह, जब देश के सभी नागरिक शिक्षित होंगे, तो हम विश्वास के साथ भविष्यवाणी कर सकते हैं कि भविष्य में हमारे देश के बच्चे महाराणा प्रताप, शिवाजी, जवाहरलाल की उपलब्धियों का अनुकरण करेंगे।
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