Hindi, asked by tegbirsingh31, 1 year ago

सब दिन होत न-एक समान---
essay in hindi​

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Answered by muskan8566
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Explanation:

हमारा जीवन प्रकृति के नियमों में बंधकर चलता है। आज यदि वसंत ऋतु है तो कल पतझड़ भी आएगा। इसी प्रकार सर्दी के बाद गर्मी, बरसात के बाद शीत, शरद ऋतु आदि ऋतुओं का क्रम चलता रहता है। रात के बाद दिन, दिन के बाद रात का यह चक्र हमेशा चलता रहता है। इसी प्रकार व्यवहार के स्तर पर भी मनुष्य के जीवन के सभी दिन एक जैसे नहीं व्यतीत होते। एक छोटे से सेल्समैन को कल का कारखाना मालिक बनते भी देखा जाता है। इसी प्रकार आज का धन्नासेठ कल का भिखारी बन कर सामने आता है। इस परिवर्तन को ही हम ऋतु परिवर्तन के समान मानव जीवन का बसंत और पतझड़, या सर्दी गर्मी कह सकते हैं। इससे आज तक कोई ना बच पाया है, ना भविष्य में ही बच पाएगा। कल तक हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था परंतु आज आजाद है। कल तक देश में सैकड़ों रियासतें और उनके राजा थे परंतु आज वह सब बीते कल की कहानी बन चुके हैं। कल तक देश में बड़े बड़े जमींदार घराने थे, आज वह सामान्य काश्तकार बनकर रह गए हैं। कल जहां खेत-खलियान और बाग-बगीचे लहलहा या करते थे, आज वहां कंक्रीट के जंगल उठ गए हैं। अर्थात नई नई बस्तियां बस गई हैं। कल तक मनुष्य आग, पानी, हवा को अपना स्वामी समझता था, पर आज स्वयं उन सबका स्वामी बन बैठा है। इस प्रकार स्पष्ट है कि परिवर्तन मानव जीवन और समाज का शाश्वत नियम है। अतः यदि मनुष्य के जीवन में समय चक्र से कभी दुख दर्द की घटाएं गिर आती हैं, तो घबराना नहीं चाहिए। अपना उत्साह किसी भी हालत में मंद नहीं पढ़ने देना चाहिए। साहस और शक्ति से विचार पूर्वक कार्य करते हुए अपने कर्तव्यों का पालन यह सोच कर करते रहना चाहिए, यदि वह दिन नहीं रहे, तो आज के दिन भी नहीं रहेंगे। ऐसा सोचकर गतिशील बने रहने से ही सुख शांति की आशा की जा सकती है।

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