सब देशों से न्यारा
गोद में इसके अनगिनत नदियाँ बहती हैं
गंगा, यमुना, सरस्वती तीनों कहती हैं
उनका ये मिलन कहा जाता संगम
प्रयाग तीर्थ राज में बहती त्रिवेणी धारा
सिर पर तेरे खड़ा हिमालय कहलाता वो ताज
चरणों को धोता सागर रखता माँ की लाज
केरल है हरा, कर्नाटक चंदन से भरा कश्मीर महके केसर की भीनी खुशबू से सारा
नील गगन भी हँस रहा खुश होकर आज
आजादी के दिवस पर सर्वत्र बज रहे साज
आई शुभ घड़ी लाई, खुशियों की लड़ी
गाएँ हम सब मिलकर भारत तुझ पर नाज
भारत प्यारा देश हमारा।
सब देशों से न्यारा।।
bhav of the the above poem.
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GeniusShweta:
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