सबै
थल
पूरन है हमहूँ पहिचानती है।
व्यापक ब्रह्म
पै बिना नंदलाल बिहाल सदा हरिचंद' न ज्ञानहिं ठानती हैं।
हम और कछु नहिं जानती है
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