Hindi, asked by excellentTTD484, 1 year ago

सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।

Answers

Answered by ialekhyadasp2ny0t
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कबीर की निम्न साखी समाज में सभी को समान मानने का उपदेश देती है-
कबीर घास न नींदिए, जो पाऊँ तलि होइ।
उड़ि पड़ै जब आँखि मैं, खरी दुहेली होइ।।
एक समान होने के लिए आवश्यक है कि समाज के अमीर-गरीब, ऊँच-नीच, जातीय व वर्गो के आधार पर बने भेदभाव सब समाप्त हो जाएँ। सभी धर्मो को समान महत्त्व दिया जाएँ। सभी केवल अपने स्वार्थ पूर्ति हेतु नहीं बल्कि परोपकार की भावना से जीवन व्यतीत करें।
Answered by nikitasingh79
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कबीर की निम्नलिखित पंक्तियों से उक्त पंक्तियों  के भाव मिलते हैं -
“ जाति न पूछो साध की , पूछ लीजिए ग्यान ।
मोल करो तरवार का , पड़ा रहन दो म्यान ।।
 किसी भी क्षेत्र में एक समान होने के लिए व्यक्ति के विचारों एवं सोच का मिलना बहुत आवश्यक होता है। एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से मिलाने एवं गुण संपन्न बनाने के लिए दोनों को पर्याप्त समानता की आवश्यकता पड़ती है । आकार, शरीर ,रूपरेखा रंग आदि का विशेष महत्व नहीं होता, महत्व तो मात्र विचार एवं गुण का है। यह गुण विचार दोनों में समानता के लक्षण को दर्शाते हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।‌।
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