सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए तो जा सकते हैं लेकिन हो सकता है कि वे इन अधिकारों का प्रयोग समानता से न कर सके। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
Answers
Answer:
सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए जा सकते हैं लेकिन हो सकता है कि वे इन अधिकारों का प्रयोग समानता से ना कर सके।
उत्तर
प्रजातंत्र में सभी नागरिकों को समानता का अधिकार दिया जाता है जिसमें प्रजा इस अधिकार का प्रयोग समानता के लिए ही करते हैं। और करना भी चाहिए।
किंतु भारतीय संस्कृति ऐसी है कि यहां कुछ आडंबरो ने जातीय भेद की है और लोगों को कई वर्गों में बांट दिया गया है। जिसके कारण समानता का अधिकार होते हुए भी लोग इस अधिकार का प्रयोग समानता के लिए नहीं करते हैं। लोग एक दूसरे को हीन भावना से देखते हैं । छुआछूत बहुत हद तक कम हो चुका है। लेकिन फिर भी छुआछूत अभी जीवित है। कुछ आडंबर लोग समानता के अधिकार का पालन नहीं करते।
Answer with Explanation:
यह कथन सर्वथा सही है कि सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए तो जा सकते हैं लेकिन हो सकता है कि वे इन अधिकारों का प्रयोग समानता से न कर सके। समाज में अमीर एवं गरीब दोनों वर्गों के लोग होते हैं । अमीर वर्ग के पर उचित संसाधन होते हैं जिसके कारण वे अपने अधिकारों का उचित प्रयोग कर लेते हैं परंतु गरीब वर्ग के लोगों के पास अपने अधिकारों के प्रयोग के लिए उचित संसाधन नहीं होते।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :
राजनीतिक समुदाय की पूर्ण और समान सदस्यता के रूप में नागरिकता में अधिकार और दायित्व दोनो शामिल हैं। समकालीन लोकतांत्रिक राज्यों में नागरिक किन अधिकारों के उपभोग की अपेक्षा कर सकते हैं? नागरिकों के राज्य और अन्य नागरिकों के प्रति क्या दायित्व हैं?
https://brainly.in/question/11843009
भारत में नागरिक अधिकारों के लिए हाल के वर्षों में किए गए किन्हीं दो संघर्षों पर टिप्पणी लिखिए। इन संघर्षों में किन अधिकारों की माँग की गई थी?
https://brainly.in/question/11843018