Hindi, asked by shalini6363, 5 months ago

सभी नदियां पहाड़ थोड़ी फिड़ती है पंक्ति में छिपा प्रेमचंद के फटे जूते पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए​

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Answered by shivdharmendragautam
3

Answer:

सभी नदियाँ पहाड़ को फोड़कर रास्ता नहीं बनाती 'अपितु रास्ता बदलकर निकल जाती हैं। ' समाज की बुराइयों व रूढ़िवादी परम्पराओं को देखकर भी बहुत से विचारवान लोग कुछ नहीं करते, चुप रहकर मूकदर्शक बने रहते हैं.

Answered by Anonymous
2

Answer:

उनकी आर्थिक दुरावस्था की कल्पना से लेखक बहुत अधिक दुःखी हो रहे थे। प्रश्न 2. ”सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं“ पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए। उत्तरः सभी नदियाँ पहाड़ को फोड़कर रास्ता नहीं बनाती 'अपितु रास्ता बदलकर निकल जाती हैं। ... प्रेमचंद जी ने ऐसे लोगों पर व्यंग्य किया है, यह उनका ठोकर मारना था।

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