सभा और समिति के बारे में आप क्या जानते हैं
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Answer:
1. सभा: वैदिक युग की अनेक जनतांत्रिक संस्थाओं में सभा एक थी। सभा के साथ ही एक दूसरी संस्था थी, समिति और अथर्ववेद (सातवाँ, 13.1) में उन दोनों को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया है। इससे यह प्रतीत होता है कि तत्कालीन वैदिक समाज को ये संस्थाएँ अपने विकसित रूप में प्राप्त हुई थीं। उसका तात्पर्य सभास्थल और सभा की बैठक, दोनों ही से था।
2. समिति: किसी विषय पर विचार के लिये बनाया गया लोगों का समूह समिति (committee or commission) कहलाती है। प्रायः यह किसी अन्य सभा के आधीन होता है। समितियाँ भिन्न-भिन्न तरह के कार्यों के लिये बनायी जातीं हैं-
शासन में (governance)
समन्वय के लिये (coordination)
अनुसंधान एवं संस्तुति के लिये (research & recommendation)
परियोजना प्रबंधन (project management)
एक गुट भी कहते है
सभा और समिति
Explanation:
प्रारंभिक वैदिक काल में राजा के पास पूर्ण शक्ति नहीं थी और उन्हें महत्वपूर्ण फैसलों से पहले दो परिषद, सभा और समिति से परामर्श करना पड़ता था। समिति एक बड़ी सभा थी, जहाँ जनजाति का कोई भी सदस्य विचाराधीन मुद्दों के बारे में अपनी राय व्यक्त कर सकता था।
दूसरी ओर, सबा महत्वपूर्ण जनजाति के सदस्यों की एक छोटी सभा थी, जिन्होंने राजा की सलाह और सहायता की। ऐसी सभाओं में महिलाएँ भी हिस्सा ले सकती थीं।
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सभा और समिति
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