सभोव्य जुताई अभि सरहण में जिस प्रकार मददगार से
?
सकती
कारण बताइए
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कृषि में जुताई एक महत्वपूर्ण कार्य है। इसका मुख्य उद्देश्य खेत को बीज के बोने, जमने तथा पौधे के बढ़ने के लिये उचित दशा में तैयार करना है। फसल जमने के पश्चात् भी कभी कभी जुताई आदि की आवश्यकता होती है। जुताई से खरपतवार निकल जाता है तथा भूमि में जल और वायु के संचालन में सहायता मिलती है। खरपतवार भूमि से अपने लिये पोषक तत्व, जल, वायु आदि प्राप्त करते हैं जिससे उपज घट जाती है। इन्हीं कारणों से उत्तम फसल पैदा करने के लिये जुलाई सदैव से कृषि का आवश्यक अंग रही है।
जो यंत्र खेत की जुताई करने के लिये प्रयोग में लाए जाते हैं, उन्हें जोतन यंत्र कहते हैं। भारत तथा अन्य देशों में प्राचीन तथा अन्य देशों में प्राचीन काल से जो यंत्र प्रयोग में आ रहे हैं उनसे मिट्टी पलटी नहीं जाती, यद्यपि इन्हें 'हल' कहते हैं। आजकल 'हल' उस यंत्र को कहते हैं जो भूमि को काटकर उसे पलट दे। जो यंत्र मिट्टी को केवल इधर-उधर चला दें परंतु पलटें नहीं, उन्हें कल्टिवेटर, हैरो, आदि कहते हैं। इस दृष्टि से देशी हल कल्टिवेटर कहा जा सकता है, परंतु हल नहीं। किंतु इसके लिये हल शब्द का प्रयोग प्राचीन होने के कारण अब भी प्रचलित है। देशी हल से कार्य करने में यद्यपि समय अधिक लगता है, तथापि इससे जुताई, बुवाई और गुड़ाई इत्यादि सब कार्य किए जा सकते हैं। परंतु नवीन यंत्र - हल, कल्टिवेटर आदि--जिस कार्य के लिये बनाए गए हैं वही कार्य अधिकतर अच्छा करते हैं। वे अन्य कार्य के लिये उतने उपयुक्त नहीं हैं।
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