सभ्यता और संस्कृति के विकास में धर्म और विज्ञान दोनों का हाथ रहता है धर्मे मनुष्य के मन का सुधार किया है धर्म हमारे मन को बल देता है और जितने भी अच्छे गुण हैं वह सभी धर्म के कारण है सत्य अहिंसा सत्यम परोपकार सेवा त्याग आदि सभी अच्छे गुण धर्म के अंतर्गत आते हैं धर्म जैन धर्म में पैदा होता है विज्ञान की सत्य को जानने में लगा रहता है विज्ञान प्रकृति को जीता है और धर्म सत्य अहिंसा उपकार आदि से मन को जीता है अतः यदि विज्ञान और धर्म मिलकर कार्य करें तो वह दिन दूर नहीं जब हम राज्यों और देशों के विचार को पीछे छोड़ देंगे सारे संस्कार को संसार को अपना समझेंगे संसार के सभी लोगों को अपना भाई समझेंगे इस प्रकार सभ्यता और संस्कृति में से मानव का विकास होता रहेगा sanchepan in 50 words
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भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परम्पराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर सम्बंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि सनातन धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म, सिंधी धर्म धर्मों का जनक है।
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