sabhyata ka rahasiya
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sabhyata ka rahasiya
मुंशी प्रेमचंद जी कहते हैं यूं तो मेरी समझ में दुनिया की एक हजार एक बातें नहीं आती जैसे लोग प्रातः काल उठते ही बालों पर छुरा क्यों चलाते हैं? क्या पुरुषों में भी इतनी नजाकत आ गई है कि वालों का वजन से नहीं संभलता? गरीब लोग सबसे ज्यादा सभ्य, सांस्कृतिक और धार्मिक होते हैं। अमीर और अफसर लोगों के लिए पैसा रिश्वत और उनकी ड्यूटी ही सर्वोच्च होती है। उन्हें किसी की जान और अहित से कोई परवाह नहीं होती हैं।
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