सबकी आज़ादी पर अनुच्छेद
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आजादी यह एक ऐसा शब्द है जो प्रत्येक भारतवासी की रगों में खून बनकर दौड़ता है। स्वतंत्रता हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है। तुलसीदास जी ने कहा है 'पराधीन सपनेहुं सुखनाहीं' अर्थात् पराधीनता में तो स्वप्न में भी सुख नहीं है। पराधीनता तो किसी के लिए भी अभिशाप है।
जब हमारा देश परतंत्र था उस समय विश्व में हमारी किसी प्रकार की कोई इज्जत नहीं थी। न हमारा राष्ट्रीय ध्वज था, न हमारा कोई संविधान था।
आज हम पूर्ण स्वतंत्र हैं तथा पूरे विश्व में भारत की एक पहचान हैं। हमारा संविधान आज पूरे विश्व में एक मिसाल है। जिसमें समस्त देशवासियों को समानता का अधिकार है। हमारा राष्ट्रीय ध्वज भी प्रेम, भाईचारे व एकता का प्रतीक है।
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