सबर्ग
खुले मुक्ति का वह किरण द्वार जगमग
उषा जा न पाए, निशा आ न पाए।
जलाओ दीये, पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
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I am not understand your qustion
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सबर्ग
खुले मुक्ति का वह किरण द्वार जगमग
उषा जा न पाए, निशा आ न पाए।
जलाओ दीये, पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।
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