सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादों गया
सबेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सबेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए
घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए।
(क) शरद ऋतु का प्रात:काल कैसा होता है ?
(ख) उपर्युक्त काव्यांश के शीर्षक एवं कवि का नाम लिखिए।
(ग) कवि के अनुसार 'शरद' कहाँ और किस प्रकार पहुँचा?
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