सबद में कबीर दास जी क्या प्रचलित हैं
क) दोहे
ख) पद
ग) सबद
घ) साखियां
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"सबद" का प्रयोग भीतरी तथा अनुभव आह्लाद के व्यक्तीकरण के लिए किया जाता है और साखी का प्रयोग दैनिक जीवन में लक्षित होनेवाले व्यावहारिक अनुभव को स्पष्ट करने में हुआ करता है।" इसका अर्थ यह हुआ कि "सबद" आत्मानुभूति है और साखी बाह्यानुभूति। परंतु संत वाङ्मय के अनुशीलन से "साखी" और "सबद" का यह भेद सदा परिलक्षित नहीं होता।
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