सबद (पद) 1 मोकों कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो तेरे पास में। ना मैं देवल ना मैं मसजिद, ना काबे कैलास में। ना तो कौने क्रिया-कर्म में, नहीं योग बैराग में। खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पल भर की तालास में। कहै कबीर सुनो भई साधो, सब स्वाँसों की स्वाँस में। पँक्तियाँ बताईये हिन्दी मे
Answers
Explanation:
कबीर दास जी के अनुसार ईश्वर किसी नियत स्थान पर ही नहीं रहता,वह तो सृष्टि के कण-कण मे व्याप्त है।कबीर दास जी के भगवान कहते हैं-- ऎ मेरे भक्तों ! तुम मुझे ढूँढ़ने के लिए कहाँ - कहाँ भटक रहे हो । मैं तुम्हें किसी देवालय या मस्ज़िद में नहीं मिलूँगा । ना ही तथाकथित क़ाबा या कैलास जैसे तीर्थ-स्थलों में ही मुझे ढूँढ़ पाओगे । तुम मुझे पूजा,जप,तप या किसी भी कर्म - काण्ड के द्वारा नहीं पा सकते । यदि सोचते हो योगी बन जाने या बैराग धारण कर लेने से तुम मुझे पा जाओगे तो ये तुम्हारा भ्रम है। मैं तुम्हें इन सांसारिक आडंबरों या दिखाओं से कभी प्राप्त नहीं होऊँगा । यदि मुझे खोजने वाला हो और सच्चे मन एवम् पवित्र भाव से खोजे तो मैं उसे पल भर में मिल जाऊँगा क्योंकि मैं कहीं बाहर नहीं बल्कि तुम्हरे अन्दर ही मौज़ूद हूँ । कबीर दास जी कहते हैं-- हे साधुजनों ! ऎ अल्लाह के बन्दों ! ईश्वर हमारी साँसों में समाया हुआ है। अत: अपनी आत्मा में ढूँढ़ो ।अपनी आत्मा को जान लिए तो ईश्वर को जान जाओगे ।
Explanation:
कबीर के अनुसार भगवान कहां पर निवास करते हैं