Hindi, asked by mjothy49, 3 days ago

Sabuth poem summary by arun vikal

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Answered by gokulgokulraj9625
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अब चीखने से क्या फ़ायदा

दीवारें इतनी उँची उठ चुकी हैं

कि उनके भीतर

तुम केवल अपनी आवाज़ की अनुगूँज ही सुन पाओगे

और जब दीवारों से अपना सिर टकराओगे

तो अपनी हथेली पर

अपना ही खून पाओगे

इस तरह ख़ून बहाने से कोई फ़ायदा नहीं

अपनी सुरक्षा में चक्रव्यूह में

मारा गया आदमी शहादत नहीं पाएगा

इतिहास के पन्नों में याद नहीं किया जाएगा

इतिहास अन्धा नहीं होता

इतिहास दिखता है

इंतज़ार करता है

इतिहास बड़ा क्रूर होता है

लेकिन एक बहादुर माँ की ममता—सा मजबूर होता है|

समय है कि तुम अब भी

अपनी चीख़ को

एक ख़तरनाक छलाँग में बदल डालो

जब तुम अपने घायल शरीर को लेकर

इन दीवारों से बाहर आओगे

तो हज़ारों लाखों ममता भरे हाथ

अपनी सुरक्षा के लिए पाओगे

और जब

इन दीवारों के रहस्यतन्त्र को

तोड़ने के लिए

हज़ारों लाखों फावड़ों के बीच

तुम अपना पहला फावड़ा उठाओगे

तो इतिहास की विशाल बाहों को

अपने लिए खुला पाओगे।

Answered by sweetymazumdar5
0

Answer:

i hope my answers is right

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