सच, अकेलेपन का मज़ा ही कुछ और है' - इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
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उत्तर :
लेखिका की बहन रेणु -
लेखिका की बहन रेनू बहुत संवेदनशील तथा जिद्दी स्वभाव की है। स्कूल से बस स्टैंड तक वह बस से आती है परंतु बस स्टैंड से घर तक घर से आई हुई गाड़ी में नाम बैठकर पैदल जाती है क्योंकि उसे इस प्रकार गाड़ी में बैठना सामंतशाही लगता है। वह सब की चुनौतियां भी स्वीकार कर लेती हैं। बचपन में किसी की चुनौती स्वीकार कर उन्होंने जनरल थिमैया को पत्र लिखकर उनका चित्र मंगवाया था जो उसे मिल भी गया था। उन्हें परीक्षाएं देना अच्छा नहीं लगता था। बी० ए० की परीक्षा भी उन्होंने अपने पिता के कहने पर ही पास की थी। एक दिन तेज बारिश में भी वह सबके मना करने पर 2 मील पैदल चलकर स्कूल गई और स्कूल बंद देख कर लौट आई थी।
लेखिका :
लेखिका पांच बहनों में दूसरे नंबर पर हैं वह दिल्ली के कॉलेज में पढ़ाती थी परंतु विवाह के बाद उसे डालमियानगर तथा बागलकोट जैसे छोटे गांव में रहना पड़ा था। वह अकेले होते हुए भी उन्होंने अपने प्रयासों से डालमियानगर में अपने जैसे विचारों वालों से मिलकर नाटक मंडली बनाई और नाटकों का मंचन कर विभिन्न सहायता कोष में सहयोग राशि दी। अपनी कोशिशों से बागलकोट में बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल भी खुलवाया। इस प्रकार स्पष्ट है कि यह दोनों बहने अकेले चलकर भी बहुत कुछ कर सकी क्योंकि अकेलेपन का मजा ही कुछ और होता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
लेखिका की बहन रेणु -
लेखिका की बहन रेनू बहुत संवेदनशील तथा जिद्दी स्वभाव की है। स्कूल से बस स्टैंड तक वह बस से आती है परंतु बस स्टैंड से घर तक घर से आई हुई गाड़ी में नाम बैठकर पैदल जाती है क्योंकि उसे इस प्रकार गाड़ी में बैठना सामंतशाही लगता है। वह सब की चुनौतियां भी स्वीकार कर लेती हैं। बचपन में किसी की चुनौती स्वीकार कर उन्होंने जनरल थिमैया को पत्र लिखकर उनका चित्र मंगवाया था जो उसे मिल भी गया था। उन्हें परीक्षाएं देना अच्छा नहीं लगता था। बी० ए० की परीक्षा भी उन्होंने अपने पिता के कहने पर ही पास की थी। एक दिन तेज बारिश में भी वह सबके मना करने पर 2 मील पैदल चलकर स्कूल गई और स्कूल बंद देख कर लौट आई थी।
लेखिका :
लेखिका पांच बहनों में दूसरे नंबर पर हैं वह दिल्ली के कॉलेज में पढ़ाती थी परंतु विवाह के बाद उसे डालमियानगर तथा बागलकोट जैसे छोटे गांव में रहना पड़ा था। वह अकेले होते हुए भी उन्होंने अपने प्रयासों से डालमियानगर में अपने जैसे विचारों वालों से मिलकर नाटक मंडली बनाई और नाटकों का मंचन कर विभिन्न सहायता कोष में सहयोग राशि दी। अपनी कोशिशों से बागलकोट में बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल भी खुलवाया। इस प्रकार स्पष्ट है कि यह दोनों बहने अकेले चलकर भी बहुत कुछ कर सकी क्योंकि अकेलेपन का मजा ही कुछ और होता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
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Answer :
‘सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है’-इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
लेखिका एवं उनकी बहन जिंदा दिल थी एवं ज़िंदकी को भरपूर जीने में विश्वास रखती थी। हर अच्छी बुरी परिस्थिति का डट कर सामना करने में विश्वास रखती थी। वह दृढ़ निश्चयी स्वभाव कि थी। इसका पता हमें इस बात से लगता है की अत्यधिक बारिश होने एवं सब के मना करने के बावजूद लेखिका की बहन विद्यालय जाती थी तो दूसरी तरफ अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने हेतु लेखिका ने कर्नाटक में स्कूल खोला। ये सारी बातें लेखिका के स्वतंत्र व्यक्तित्व, हिम्मत, धैर्य और लीक से हटकर अपनी अलग राह चलने वाले व्यक्तित्व की ओर संकेत करते हैं।
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